NCERT Books: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और शिक्षा परिषद (NCERT) की किताबों को सबसे बेहतर पाठ्य पुस्तकें माना जाता है। जब भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की बात आई है तो सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबों का नाम आता है। लेकिन देश के जाने-माने राजनीति विज्ञानी योगेंद्र यादव और सुहास पलशिकर एनसीईआरटी की किताबों से अपना नाम हटाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है। जानिए क्या है पूरा मामला
पाठ्य पुस्तकों में बदलाव से ‘शर्मिंदा’
योगेंद्र यादव और सुहास पलशिकर एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में मनमाने और तर्कहीन बदलावों से नाराज हैं। ये दोनों नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क-2005 के अनुरुप पाठ्यक्रम तैयार करने वाली समिति में शामिल थे। एनसीईआरटी की कक्षा 9 से 12 तक की राजनीति विज्ञान की पुस्तकों में दोनों का नाम मुख्य सलाहकार के तौर पर छपता है। लेकिन एनसीईआरटी की किताबों में जिस तरह के बदलाव किए गये, उस पर योगेंद्र यादव और सुहास पलशिकर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है।
योगेंद्र यादव ने ट्विट किया कि प्रो. पलशिकर और उन्होंने एनसीईआरटी की छह पाठ्य पुस्तकों से खुद को अलग कर लिया है। क्योंकि इन किताबों को बहुत ज्यादा विकृत किया जा चुका है। अकादमिक रूप से अक्षम इन किताबों में उनका नाम मुख्य सलाहकार के तौर पर जाना उनके लिए ‘शर्मिंदगी’ की बात है। इसलिए वे एनसीईआरटी की कक्षा 9 से 12 की राजनीति विज्ञान की सभी पाठ्य पुस्तकों से खुद को अलग करना चाहते हैं। वे दोनों एनसीईआरटी से अनुरोध करते हैं कि इन पाठ्यपुस्तकों की शुरुआत में पाठ्यपुस्तक विकास दल की सूची में मुख्य सलाहकार के रूप में उनका नाम हटा दिया जाए।
पाठ्य पुस्तकों में बदलाव पर विवाद
एनसीईआरटी की किताबों से कई चैप्टर हटाने और कई नए पाठ जोड़ने को लेकर खूब विवाद मचा हुआ। ये बदलाव सिलेबल रिशनलाइजेशन के नाम और नई शिक्षा नीति की आड़ में किए जा रहे हैं। राजनीति विज्ञान की किताबों से डेमोक्रेसी, महात्मा गांधी की हत्या और आजादी के आंदोलन से जुड़ी कई बातें हटाने को लेकर बहस छिड़ी है। इस पूरी कवायद को सत्तारूढ़ भाजपा के राजनीति एजेंडे और विचारधारा से जोड़कर देखा जा रहा है।
योगेंद्र यादव का कहना है कि पाठ्य पुस्तकों को बहुत ज्यादा विकृत किया जा चुका है। इस मनमाने बदलावों के बारे में कोई परामर्श नहीं किया गया और ना ही कोई सूचना दी गई। पाठ्यक्रम में बदलाव की पूरी प्रक्रिया को उन्होंने पक्षपातपूर्ण और सत्ताधारियों को खुश करने की कोशिश करार दिया है।
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