University: ऐसा कहा जाता है कि, विश्वविद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर इसी बहस को लेकर बवाल मचा हुआ है। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी दिल्ली यूनिवर्सिटी केंपस के हॉस्टल मैस में पहुंचे जहां उन्होंने छात्रों से बातचीत की। इसके बाद राहुल गांधी के डीयू कैंपस में आने को लेकर वीसी ने काफी तल्ख टिप्पणियों की और कहा कि विश्वविद्यालय परिसर को राजनीति का अखाड़ा मत। वीसी की इस टिपणी के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। इस बयान पर सोशल मीडिया पर अब दो घड़ो मैं बेटा देख रहा है।
बीएचयू में प्रधानमंत्री को प्रवेश करने से रोका
सोशल मीडिया पर चल रहे इस बहस के बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का भी एक किस्सा सामने आया। ऐसा बताया जा रहा है कि, जब बीएचयू में प्रधानमंत्री को प्रवेश करने से रोक दिया गया था। घटना के बारे में बीएचयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष चंचल ने बताया। उन्होंने बताया कि मंच पर प्रधानमंत्री की कुर्सी के बगल में आज संघ अध्यक्ष की कुर्सी लगाई गई थी वहां मौजूद अन्य नेताओं ने आपत्ति जताई। वहीं कुलपति ने इस आपत्ति पर कहा कि आप जिस की कुर्सी लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं वह शासकों द्वारा चुने हुए छात्रसंघ अध्यक्ष नौटियाल की कुर्सी है वही प्रधानमंत्री का चुनाव साक्षर के साथ-साथ निरीक्षक भी करते हैं।
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मंत्री और नेताओं के परिसर में आने पर रोक
चंचल ने आगे की बातचीत में बताया कि यह बयान स्वास्थ्य लोकतंत्र को दर्शाता ही है साथ ही मौजूदा दौर में कुलपति के हनक को भी दिखाता है। बीएचयू में हुई इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी परिसर में मंत्री और नेताओं के परिसर में आने पर एक तरीके से रोक लग गई थी 2014 से पहले तक विश्वविद्यालय परिसर में मंत्रियों भैया लगभग नहीं थी लेकिन 2014 के बाद से यह परंपरा बीएचयू में फिर से शुरू हो गई। ने बताया कि पंडित नेहरू को धोखे जाने का किस्सा गलत है लेकिन जो आचार्य नरेंद्र देव ने कहा था वह बात सही थी।
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