Subharti University: स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के दौरे पर आए दक्षिण कोरिया के अति विशिष्ट बौद्ध भिक्षु प्रतिनिधि मण्डल ने सारनाथ धम्मेक स्तूप पहुंचकर दर्शन किए। प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व कर रहे दक्षिण कोरिया के धर्मगुरू यिमडाम सियो यूयीहयून ने सारनाथ स्थित तथागत बुद्ध की शिक्षा स्थली पर भारत व कोरिया के मध्य मधुर राजनयिक सम्बन्ध होने की कामना के साथ सुभारती समूह की संस्थापिका संघमाता डा. मुक्ति भटनागर हेतु विशेष प्रार्थना की।
उन्होंने बताया कि भारत ने तथागत बुद्ध का धम्म कोरिया को दिया। उन्होंने कहा कि सारनाथ का विश्व में नाम है और तथागत बुद्ध द्वारा पहला उपदेश सारनाथ से ही दिया गया। उन्होंने कहा कि सारनाथ बुद्ध धर्म की पवित्र स्थली है और भारत देश ने तथागत बुद्ध की स्थली को संजो कर रखा हुआ है, इसके लिए विश्व भारत का आभारी है। उन्होंने सुभारती समूह द्वारा तथागत के आदर्श को विश्व में प्रचार प्रसार कर मानव कल्याण हेतु किए जा रहे कार्यो की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत जी 20 सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है इसके तहत सभी कार्यक्रम द्वारा मानवता के विकास हेतु नई दिशा प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि भारत देश के द्वारा ही बौद्ध धर्म विश्व भर में पल्लवित हुआ और राजा अशोक एवं उस समय के महान लोगो द्वारा बौद्ध धर्म को संरक्षित एवं प्रचार प्रसार करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डा. हिरो हितो ने कहा कि सुभारती समूह अपनी स्थापना से ही बौद्ध धर्म को पल्लवित करने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि सुभारती बुद्धिस्ट स्टडीज द्वारा बौद्ध धर्म, कला, संस्कार, प्रेम, करूणा एवं मैत्री को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हांंने कहा कि यह गौरव की बात है कि प्राचीन बोधि वृक्ष का उदय सुभारती विश्वविद्यालय की पावन धरती में हुआ जिसके दर्शन हेतु विश्व भर से अनुयायी पहुंच कर तथागत बुद्ध के विचारां से लाभान्वित हो रहे है।
कोरिया बौद्ध प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य डा. लीसी रेन ने कहा कि सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहे है एवं बौद्ध धर्म के उत्थान हेतु किये जा रहे कार्यो को कोरिया में भी सराहा जा रहा है। इस अवसर पर सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सभी पदाधिकारियों सहित दक्षिण कोरिया के बौद्ध प्रतिनिधि मण्डल के 270 सदस्य उपस्थित रहे।
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