Subharti University: बैक्जे बौद्ध महोत्सव दक्षिण कोरिया में सुभारती विवि की गूंज

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Subharti University: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सद्भाव को समर्पित बैक्जे बौद्ध महोत्सव दक्षिण कोरिया के बुएयो में ‘बौद्ध धर्म एवं शांति’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस महत्त्वपूर्ण और प्रेरणादायक कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांत शांति और सद्भाव प्रसारित करना है जिसके लिए विश्व के अग्रणी व्यक्तित्त्वों को एक मंच पर लाने का कार्य किया गया।

इस विशिष्ट अवसर पर स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डॉ. हीरो हितो ने अपनी उपस्थिति से सम्मेलन की शोभा बढ़ाई और सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा बौद्ध धर्म हेतु किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों से सभी को रूबरू कराया। उन्होंने भारतीय बौद्ध धर्म की वंशावली से लेकर बैक्जा राजवंश तक पर एक सम्ममोहक व्याख्यान दिया। उन्होंने संघर्ष पर शांति के महत्व को रेखांकित करते हुए आज की दुनिया में बुद्ध की शिक्षाओं की गहन प्रासंगिकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय का सम्राट अशोक सुभारती बौद्ध अध्ययन विद्यालय निरंतर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच शांति, सद्भाव और बंधुत्व के भाव को स्थापित करने हेतु प्रयासरत है। उन्होंने स्पष्ट रूप से इस बात पर बल दिया कि बुद्ध की शिक्षाएँ हमारे आधुनिक विश्व में कालातीत और प्रासंगिक हैं। उन्होंने बौद्ध धर्म के मूल संदेश पर प्रकाश डाला, जो शांति, करुणा और अहिंसा में निहित है। डॉ. हितो ने इस बात पर बल दिया कि आज के अशांत समय में दुनिया को संघर्षों को सुलझाने और वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए बुद्ध के ज्ञान की ओर आना चाहिए।

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आदरणीय डॉ. धम्मपिया महासचिव, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का संबोधन आंतरिक शांति की अवधारणा पर केंद्रित था। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंतरिक शांति बाहरी शांति की नींव है और इसे माइंडफुलनेस और ध्यान जैसे बौद्ध सिद्धांतों के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने उपस्थित लोगों को अपने भीतर झाँकने, शांति खोजने और उस शांति को अपने समुदायों और दुनिया तक विस्तारित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका संदेश एक अनुस्मारक था कि शांतिपूर्ण समाज बनाने की दिशा में व्यक्तिगत परिवर्तन एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव डॉ. वेन धम्मपिया ने बौद्ध सिद्धांतों के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करने पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की, और उपस्थित लोगों को अपने और अपने परिवेश के अंदर सद्भाव की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया। वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के स्थायी उप-रेक्टर, परम आदरणीय थिच न्हाट थू ने बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक उत्पत्ति की गहराई से पड़ताल की। उन्होंने कहा कि इसकी जड़ें भारत के सारनाथ में हैं और इसके बाद दुनिया भर में इसके प्रसार की जानकारी प्रदान की। उन्होंने वियतनाम और कोरिया के बीच मजबूत बौद्ध संबंधों पर प्रकाश डाला, उनकी साझा सांस्कृतिक विरासत को सूक्ष्मता से रेखांकित किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोरिया के चुंगचेओनम दो प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे। उन्होंने इस बात पर विचार किया कि कैसे कोरियाई लोगों ने बौद्ध धर्म को जीवन शैली के रूप में अपनाया है और आंतरिक शांति स्थापित कर सुसामंजस्यपूर्ण समाज निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। सम्मेलन में कोरिया, वियतनाम और भारत के सम्मानित वरिष्ठ विद्वान संघ सदस्यों की उपस्थिति के परिणामस्वरूप इस संवाद की गंभीरता व महत्व और अधिक बढ़ गया।

बैक्जे महोत्सव 2023 में बौद्ध धर्म और शांति विषय पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने ज्ञान के प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य किया, बौद्ध शिक्षाओं की पुनर्व्याख्या की और निरंतर परिवर्तनशील दुनिया में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका को भी रेखांकित किया। परम आदरणीय थिच न्हाट थू वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के स्थायी वाइस रेक्टर ने बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत के सारनाथ में हुई और इसके बाद दुनिया भर में इसके प्रसार का पता लगाया। उन्होंने वियतनाम और कोरिया के बीच सांस्कृतिक और दार्शनिक समानताओं पर प्रकाश डाला और कहा कि दोनों के बीच सुदृढ़ बौद्ध परंपराएं हैं।

मुख्य अतिथि चुंगचेओनम दो प्रांत कोरिया के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने बताया कि कैसे बौद्ध धर्म कोरियाई लोगों के जीवन में एकीकृत हो गया है, जिससे आंतरिक शांति और करुणा की संस्कृति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने उदाहरण साझा किए कि शिक्षा से लेकर सामुदायिक विकास तक, कोरियाई समाज के विभिन्न पहलुओं में बौद्ध सिद्धांतों को कैसे लागू किया जाता है। उन्होंने अपने भाषण में कोरिया के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने में बौद्ध धर्म की भूमिका और महत्त्व को स्थापित किया तथा समाज की भलाई के लिए इन मूल्यों के प्रसार पर बल दिया ।

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