Jamia Millia Islamia के डॉ. आसिफ़ उमर की पुस्तक ‘हिंदी साहित्य में मुस्लिम साहित्यकारों का योगदान’ के उर्दू अनुवाद का विमोचन

Jamia Millia Islamia: 11 मार्च, 2023 को लोधी रोड स्थित खुसरो फाउंडेशन एवं इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान “द मीनिंग ऑफ मॉडर्निटी” का आयोजन किया गया। इस आयोजन की शुरुआत डॉ आसिफ उमर की पुस्तक “हिंदी साहित्य में मुस्लिम साहित्यकारों के योगदान के उर्दू अनुवाद (फारूक अर्गाली: अनुवादक) के विमोचन से हुई।

व्यक्ति की पहचान धर्म से नहीं मुल्क से होती है

इस व्याख्यान के अंतर्गत पूर्व विदेश मंत्री एवं वरिष्ठ पत्रकार एम. जे . अकबर ने अपने वक्तव्य में कहा कि व्यक्ति की पहचान धर्म से नहीं बल्कि मुल्क से होती है। उन्होंने वक्तव्य के दौरान आगे कहा कि मॉडर्निटी अच्छे विचारों से होती है कपड़ों से नहीं।

इस व्याख्यान की सदारत अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के वी सी प्रो तारिक मंसूर ने की और अपने वक्तव्य में एम जे अकबर की सराहना करते हुए कहा की अकबर साहब ने मॉडर्निटी के वास्तविक अर्थ को अपने व्याख्यान से प्रस्तुत किया है। प्रो मंसूर साहब ने आगे कहा कि प्रो अख्तरूल वासे अध्यक्ष खुसरो फाउंडेशन और इस्लामिक कल्चर सेंटर के अध्यक्ष सेराज कुरैशी साहब ने मॉडर्निटी के सही अर्थ को इस कार्यक्रम से साबित और स्थापित कर दिया। प्रो तारिक मंसूर ने डिजिटल और मॉडर्निटी के अंतर्संबंधों के अर्थ को अपने वक्तव्य के माध्यम से परिभाषित किया।

प्रो अख्तरूल वासे ने किया इस कार्यक्रम का संचालन

प्रो अख्तरूल वासे ने इस कार्यक्रम का संचालन करते हुए कि मॉडर्निटी के सही अर्थ को एम जे अकबर साहब ने वास्तविक रूप में अपने व्याख्यान से परिभाषित कर दिया और आज हम सभी को इसी दिशा में काम करने की ज़रूरत है।

प्रो वासे ने अकबर साहब के व्याख्यान को मॉडर्निटी वास्तविक रूप बताया

कार्यक्रम का संचालन करते प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि डॉ आसिफ उमर की पुस्तक गंगा-जमुनी तहज़ीब को समझने में अत्यंत सहायक होगी। हिंदी और उर्दू भाषा और साहित्य की सेवा भारतियों ने बगैर भेदभाव के की है और हिंदी उर्दू ने भी सभी को सामान नज़र से देखा है। उन्होंने आगे कहा कि यह पुस्तक हिंदी साहित्य के पूरे दौर का सफ़र कर के पाठकों के सामने एक ज्ञानवर्धक और तथ्यपरक विषय प्रस्तुत करती है और विमर्शों के इस दौर में इस तरह की पुस्तक की आवश्यकता है।

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खुसरो फाउंडेशन के सेक्रेटरी श्री परवेज़ अहमद ने कहा कि ऐसे प्रोग्राम से आपसी सौहार्द और अच्छी भावनाएं विकसित होती हैं। कार्यक्रम में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, अंबेडकर विश्वविद्यालय आदि के अध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

इस भव्य आयोजन के धन्यवाद ज्ञापन की जिम्मेदारी सेराज कुरैशी साहब ने पूरी की और कहा की मॉडर्निटी के सही अर्थ को एम जे अकबर साहब और प्रो तारिक मंसूर साहब ने अपने वक्तव्य से प्रस्तुत किया है और हम सभी को इससे सीख लेनी चाहिए।

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