Jamia Millia Islamia: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाज़िम हुसैन अल-जाफरी ने आज विश्वविद्यालय की डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी में “ई-लाइब्रेरी मोबाइल ऐप” और “ऑटोमेटेड इन/आउट अटेंडेंस सिस्टम ऑफ़ लाइब्रेरी यूज़र्स” को लॉन्च किया। जामिया की डॉ. ज़ाकिर हुसैन लाइब्रेरी द्वारा आयोजित पवित्र कुरान पर प्रदर्शनी के दौरान यह दो पुस्तकालय सेवाएं शुरू की गईं, जिसमें 15वीं सदी की पवित्र कुरान की पांडुलिपियों का एक दुर्लभ संग्रह प्रदर्शित किया गया है।
डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी को हजारों ई-जर्नल्स और ई-पुस्तकों और ई-डेटाबेस के साथ-साथ इनफ्लिबनेट केंद्र के ई-शोध सिंधु कंसोर्टियम द्वारा प्रदान किए गए महत्वपूर्ण संसाधनों की सदस्यता प्राप्त है। ई-लाइब्रेरी मोबाइल ऐप लाइब्रेरी के यूज़र्स के लिए कहीं भी, कभी भी जानकारी और निर्बाध एक्सेस की सुविधा प्रदान करेगा।
कार्यक्रम के दौरान शुरू की गई दूसरी सेवा “ऑटोमेटेड इन/आउट अटेंडेंस सिस्टम ऑफ़ लाइब्रेरी यूज़र्स” इस मायने में नई है कि इसने लाइब्रेरी में इन/आउट मैनुअल अटेंडेंस सिस्टम के पहले की प्रैक्टिस को बदल दिया है। पुस्तकालय यूज़र्स ने बार कोड प्रौद्योगिकी संचालित इस अटेंडेंस सिस्टम की प्रशंसा की।
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कार्यवाहक विश्वविद्यालय लाइब्रेरियन, डॉ सूफियान अहमद ने कुलसचिव, अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और प्रदर्शनी और पुस्तकालय द्वारा पेश की जाने वाली नई सेवाओं के बारे में जानकारी दी।
जामिया के रजिस्ट्रार प्रो. नाज़िम हुसैन अल-जाफरी ने विश्वविद्यालय के डीन, निदेशकों, फैकल्टी, कर्मचारियों और छात्रों की उपस्थिति में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में पवित्र कुरान की 15वीं शताब्दी से पूर्व की पांडुलिपियों का एक दुर्लभ संग्रह शामिल है। ये पाण्डुलिपियाँ विभिन्न कैलिग्राफिक स्टाइल्स का प्रतिनिधित्व करती हैं जैसे नस्क, मुहाक़क़, नस्तालिक और शिकास्ता लिपियाँ। इसके अलावा, प्रदर्शनी में हिंदी, कन्नड़, मलयालम सहित कई भारतीय भाषाओं और जापानी, फ्रेंच, जर्मन, रूसी आदि अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में पवित्र कुरान के दुर्लभ प्रकाशित अनुवाद भी प्रदर्शित किए गए हैं।
डॉ. सूफियान अहमद किया कार्यक्रम का समापन
कुलसचिव ने विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन और उनकी टीम को लगातार अपने यूज़र्स के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं शुरू करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यूज़र्स को पुस्तकालय संसाधनों और इसकी सेवाओं का उपयोग अपनी शैक्षणिक गतिविधियों में करना चाहिए। डॉ. सूफियान अहमद द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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