Chaudhary Charan Singh University: प्रथम सत्र में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास दिल्ली के डॉ अनिल कुमार ठाकुर ने महावीराचार्य के गणित सार संग्रह पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि महावीराचार्य के अनुसार एक गणितज्ञ में आठ गुण लघु करण, उह, अपोह, अनालस्यु, ग्रहण, धारण, उपाय, व्यक्तिकृष होने चाहिए। इसी क्रम में उन्होने बताया कि हमारे प्राचीन गणितज्ञ नंबरों से खेलते थे। उनके अनुसार अगर किसी किसी भी तीन अंकों की संख्या को 143 और 7 से गुणा करने पर वह पुन उसी नंबर को देता है इसी प्रकार किसी चार अंको की संख्या को 137और 73 से गुणा करने पर उन्हें उसी नंबर को देता है। उन्होंने बताया कि वर्गमूल, घनमूल क्रमच्य संचय, त्रिभुज के क्षेत्रफल, गुणात्मक श्रेणी आदि के सूत्र महावीराचार्य द्वारा ही दिए गए। लघुत्तम समापवर्तक देने वाले प्रथम गणितज्ञ महावीराचार्य ही थे। डॉ संदीप कुमार ने गणित विभाग की और से धन्यवाद ज्ञापित किया। गणित विभागाध्यक्ष प्रो शिव राज सिंह ने मोमेंटो देकर उनको सम्मानित किया। इस सत्र का संचालन रश्मि यादव ने किया।
हमारे इर्द गिर्द हर जगह गणित है: डॉ योगेश चांदना
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ योगेश चांदना ने मैजिक स्क्वायर्स पर एक जानकारी पूर्ण वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला, आदि सभी भारतीयों के द्वारा ही दिए गए हैं। इसी क्रम में उन्होंने बताया हमारे इर्द गिर्द हर जगह गणित है। यह सत्र प्रतिभागियों के लिए काफी रुचिमय रहा और सभी ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
डॉ एच एन सिंह के धन्यवाद ज्ञापन से सत्र का समापन
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ अनुराधा गुप्ता ने कैलकुलस में वैदिक गणित के अनुप्रयोग पर विस्तृत वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने वैदिक गणित की सहायता से अवकलन समाकलन की विभिन्न शॉर्ट ट्रिक्स के बारे में वैदिक गणित के तीसरे सूत्र उधर्वतीयभ्यास की सहायता से बताया। इसकी सहायता से हम हायर ऑर्डर के डेरिवेटिव और बहुत समय लेने वाले समाकलन को बहुत ही कम समय में वैदिक गणित की ट्रिक्स के माध्यम से हल कर सकते हैं। यह सत्र सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत जानकारी पूर्ण रहा और प्रतिभागियों ने काफी प्रश्न पूछ कर अपनी काफी प्रश्नों का समाधान किया। डॉ एच एन सिंह ने मैडम का धन्यवाद ज्ञापन कर इस सत्र का समापन किया।
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कार्यक्रम के चौथे सत्र में कैलाश विश्वकर्मा ने रैंडम नंबर सिस्टम में वैदिक गणित के अनुप्रयोगों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने वैदिक गणित की सहायता से बाइनरी संख्या पद्धति को दशमलव संख्या पद्धति में और दशमलव संख्या पद्धति को हेक्साडेसिमल संख्या पद्धति में बदलने की शॉर्ट ट्रिक्स के बारे में बताया।इसी क्रम में उन्होंने समान आधार वाली संख्या को विचलन विधि की सहायता से गुणा करने के बारे में भी विस्तार से बताया। अंतिम तीनों सत्रों का संचालन डॉक्टर सोनिया गुप्ता ने किया।
कार्यक्रम के समापन सत्र विभाग के प्रोफेसर डॉ मृदुल कुमार गुप्ता ने कार्यशाला को ज्ञानवर्धक बताते हुए सभी का उत्साह वर्धन किया। विभागाध्यक्ष प्रो शिवराज सिंह दोनों दिनों के शत्रु की विस्तार से चर्चा करते हुए सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ मुकेश कुमार शर्मा, डॉ संदीप कुमार सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया, डॉ सरृ कुमारी एवं डॉ सोनिया गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन किया। सभी शिक्षकों ने प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट देकर उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थी राहुल कुमार, नितेश धीमान,मोनिका,शुभम, तिजेंद्र, वैशाली, दीप्ति, उम्मेफेरवा आदि उपस्थित रहे।
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