DU Syllabus: दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में वीडी सावरकर को शामिल करने को लेकर विवाद गरमा गया है। डीयू एक्जीक्यूटिव काउंसिल की शुक्रवार को हुई बैठक में कई प्रस्तावों पर निर्णय लिए जाने की खबर है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डीयू के पाठ्यक्रम में सावरकर को शामिल करने का निर्णय हो चुका है। बीए पॉलिटिकल साइंस के 5वें सेमेस्टर में सावरकर को शामिल करने की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ, कवि अल्लामा इकबाल की रचनाओं को डीयू पाठ्यक्रम से हटाने का निर्णय लिया गया है। ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के नाम पर किए जा रहे हैं।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल ने पिछले सप्ताह पाठ्यक्रम में बदलाव का प्रस्ताव एक्जीक्यूटिव काउंसिल को भेजा था। तभी से पाठ्यक्रम में सावरकर को शामिल करने को लेकर बहस छिड़ी है। माना जा रहा है कि एकेडमिक काउंसिल ने जो प्रस्ताव पास किया था, उस पर एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मुहर लग जाएगी। हालांकि, आम आदमी पार्टी से जुड़े सदस्य इसका विरोध कर रहे हैं।
गांधी से पहले सावरकर?
बीए पॉलिटिकल साइंस के 5वें सेमेस्टर में सावरकर को शामिल करने के प्रस्ताव का इसलिए भी विरोध हो रहा है क्योंकि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को छठे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सातवें सेमेस्टर में शामिल किया गया है। अकादमिक परिषद के कुछ सदस्यों ने गांधी से पहले सावरकर को पढ़ाने जाने पर आपत्ति जतायी है।
इकबाल सिलेबस से बाहर!
प्रसिद्ध गीत “सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ता” लिखने वाले अल्लामा इकबाल को “आइडिया ऑफ पाकिस्तान” का जनक भी माना जाता है। इकबाल को भी डीयू के सिलेबस से बाहर करने को लेकर काफी विवाद मचा। डीयू के वाइस चांसलर प्रो. योगेश सिंह कह चुके हैं कि जिस व्यक्ति ने पाकिस्तान की नींव रखी, जिसकी सोच भारत विरोधी थी, उसके विचार भारत के छात्र अपने सिलेबस में क्यों पढ़े? इसकी बजाय देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारियों के विचारों को पढ़ाया जाना चाहिए।
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