Chola Dynasty: ब्रिटिश दुनिया के कोने-कोने तक इसलिए पहुंच पाये क्योंकि उनके पास समुद्र में सफर की अच्छी तकनीक थी। समुद्र में लड़ने के लिए उनके पास अच्छे योद्धा थे। समुद्री सेना पर उनका दबदबा था। भारत में लेकिन उनके आने से भी कई सौ साल पहले भारत के ही एक शासक जिन्होंने समुद्री सेना से अपने पड़ोसी राज्यों को हिला कर रख दिया था। उनका मुकाबला उस जमाने में समुद्र में करना नामुमकिन था। चोल वंश के राजा ने अपनी समुद्री सेना की ताकत से ही लंका को जीत कर अपने राज में मिला लिया था। उरैयुर चोलो का प्रशानिक प्रदेश था।
चोल शासक राजराज ने बनायी थी समुंद्री सेना
चोल शासकों का शासन भारत में 848 से 1279 तक रहा। इसी वंश के एक राजा राजाराज थे। इनका शासन 985 से लेकर 1014 तक रहा था। इन्होंने उस जमाने में बंगाल की खाड़ी को चोल झील बना डाला था। उन्होंने अपनी समुंद्री सेना से श्रीलंका पर हमला कर उसे अपने राज्य में मिला लिया था। उस समय चोल राज की समुद्री सेना उसकी सबसे बड़ी ताकत मानी जाती थी। ऐसा भी नहीं था कि उस जमाने में किसी और के पास समुद्री सेना नहीं थी लेकिन चोल वंश की समुद्री सेना का मुकाबला नहीं था।
चोल वंश की स्थापना कैसे हुई?
चोल साम्राजय की स्थापना विजयालय ने की थी। चोल दरअसल पल्लवों के सामंत हुआ करते थे। विजयालय एक चोल सामंती सरदार थे। उन्होंने पल्लवों की आपसी फूट का फायदा उठाकर तंजोर पर अपना अधिकार जमा लिया था। उसके बाद उन्होंने पाण्डय राज्य पर चढ़ाई कर दी थी। उसके बाद उन्होंने पल्लवों के राजा को हराकर उसके शासन पर कब्जा कर लिया। इस तरह भारत में चोल वंश की नींव पड़ी। भारत में चोल वंश का शासन कायम हुआ। इस वंश के भारत में करीब 20 शासक हुए हैं जिन्होंने करीब 400 साल तक शासन किया था।
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