British English school: मुगल शासक औरंगजेब की मौत के करीब आठ साल बाद यानी 1715 में तत्कालीन मद्रास में अंग्रेजी मीडियम स्कूल की स्थापना की गई। इसे सेंट जॉर्ज एंग्लो-इंडियन हायर सेकेंड्री स्कूल के नाम से जाना जाता है। चेन्नई के शेनॉय नगर इलाके में 21 एकड़ क्षेत्र में यह स्कूल फैला हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि वर्षों बाद भी इस स्कूल में दाखिला पाने के लिए बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा का दौर बना रहता है। अधिकतर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा जॉर्ज एंग्लो-इंडियन हायर सेकेंड्री स्कूल (St.George’s Anglo Indian Higher Secondary School) से पढ़ाई करें, लेकिन इस स्कूल में एडमिशन की प्रोसेस भी आसान नहीं होती।
अंग्रेजों ने चेन्नई में खोला था अंग्रेजी स्कूल
आपको बता दें कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को बेहद कम फीस में पढ़ाई से लेकर लाइब्रेरी, खेल समेत तमाम सुविधाएं दी जाती है। विद्यालय की बिल्डिंग लाल रंग की ईट से बनाई गई है, जो आज के 21वीं शताब्दी में अभी यह इमारत छात्रों व अभिभावकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। सबसे अच्छी बात यह है कि आज भी St.George’s Anglo Indian Higher Secondary School की इमारत पूरे शान से खड़ी है। विद्यालय में नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई कराई जाती है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यहां आज भी करीब 1500 छात्र-छात्राएं अध्यरनरत हैं। बताया जाता है कि विद्यालय में पठन-पाठन सुचारू रूप से संचालित किये जाने के लिए 36 टीचर और अन्य कर्मी सेवारत है।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी स्कूल की स्थापना
मालूम हो कि इस स्कूल की स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों के बच्चों के लिए की गई थी। बताया जाता है कि उस वक्त ब्रिटेन से बड़ी संख्या में पुरुष काम करने के लिए भारत आते थे। इसी क्रम में वो भारतीय महिलाओं से शादी कर परिवार बसा लेते थे। इसके बाद उन्हें परिवार को ब्रिटेन ले जाना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं था। दरअसल, उस वक्त ब्रिटेन से लोगों को भारत आने या फिर जाने में महीनों वक्त लगा जाता था। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) ने 1715 में तत्कालीन मद्रास में जॉर्ज एंग्लो-इंडियन हायर सेकेंड्री स्कूल की स्थापना की थी।
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