MP Private School: मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूल की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। इस बाबत कई ख़बरे आती रही है। हालांकि इस पर रोक लगाने के लिए राज्य सूचना आयुक्त ने बड़ा फैसला लिया है। बताया गया है कि शासन से अनुदान लेने वाले निजी स्कूल यानी प्राइवेट विद्यालय अब पूरी तरह से सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information) के दायरे में होंगे। इसके तहत उनसे मांगी गई जानकारी देनी होगी। इसके लिए नियमानुसार तय सीमा में ही स्कूल को जानकारी देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर स्कूल पर जुर्माना लगाया जाएगा। उक्त बात की जानकारी राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह (Information Commissioner Rahul Singh) द्वारा जारी आदेश में कही गई गई है।
मध्य प्रदेश के निजी स्कूलों पर सूचना आयुक्त ने कसा शिकंजा
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल की मान्यता संबंधित जानकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information) के अधीन करार दिया है। उन्होंने आदेश जारी कर कहा कि ”शासन से अनुदान या रियायती दर पर जमीन लेने वाले स्कूलों पर आरटीआई अधिनियम पूरी तरह से लागू होगा।” इसके अलावा इक अन्य मामले में कार्रवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने प्राइवेट स्कूल की जानकारी को गलत ढंग से रोकने पर शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों पर कुल 20000 का जुर्माना भी लगाया है।
एक प्राइवेट स्कूल के मामले में सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त ने सुनाया फैसला
गौरतलब है कि हाल ही में मध्य प्रदेश के रीवा स्थित एक प्राइवेट स्कूल (Private School Now) से मान्यता संबंधी जानकारी मांगी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसे जिला शिक्षा अधिकारी ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पास भेजा था। विकास खंड शिक्षा अधिकारी के द्वारा ये कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया गया कि निजी स्कूल सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information) के अधीन नहीं हैं। मिली जानकारी के अनुसार, जानकारी न मिलने पर मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा। जहां, प्रदेश के सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आज सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया। मालूम हो कि इससे पहले उत्तरप्रदेश में जुलाई 2021 में ही सूचना आयोग प्राइवेट स्कूलों को आरटीआई के दायरे में लाने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद हरियाणा में भी मई 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस व्यवस्था को प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूलों पर लागू किया गया था। बहरहाल, राज्य सूचना आयुक्त के इस निर्णय को प्रदेश के छात्रों व अभिभावकों ने स्वागत किया है।
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