School Tips: अगर आपका बच्चा भी स्कूल जाते हुए रोता है उसे स्कूल भेजने के लिए आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है तो आज जो टिप्स हम आपको बताने जा रहे हैं, उन्हें जानने के बाद आपका बच्चा खुशी-खुशी स्कूल जाएगा।
बच्चे की करें काउंसलिंग
स्कूल फोबिया के शिकार बच्चे उस वक्त होते है जब वे अपने माता-पिता एवं घर से दूर जाते है और नई चीजों में अपने आप को एडजस्ट नही कर पाते है. यहाँ का अनुशासन इत्यादि उसे समझ में नहीं आता है और उसके दिमाग में एक डर बैठ जाता है. और उसी वक्त कोई टीचर उसे डांट दे या उसके सामने किसी को थप्पड़ मार दे तो वह स्कूल से डरने लग जाएगा. स्कूल से लगने वाले डर को ही काउंसलर स्कूल फोबिया कहते है यह 6 वर्ष या 15 वर्ष के बच्चों में सबसे ज्यादा होता है. इसकी वजह से बच्चो के स्वभाव में अंतर आने लगता है और वह छोटी-छोटी बातो पर नाराज होता है और चिल्लाने लग जाता है. ऐसी स्थिति में किसी अच्छे काउंसलर के पास बच्चे को भी लेजाना चाहिए और माता-पिता को भी काउंसलिंग करनी चाहिए. ताकि वह बच्चे में हो रहे परिवर्तनों को समझ पाए.
बच्चों को स्कूल भेजने के आसान तरीके
सबसे पहले तो उन्हें प्यार से स्कूल और पढ़ाई के महत्व को बताएं |
दूसरा तरीका यह है की बच्चों के मन से स्कूल के डर को निकालने की कोशिश करें |
बच्चों पर पढ़ाई के दबाव कभी न बनाये की उन्हें पढ़ना ही है, ये बिलकुल गलत साबित होगा |
कोशिश करें की बच्चों को स्कूल भेजते समय उन्हें खुद ही स्कूल तक छोड़ने जाए , और स्कूल के गेट पर पहुँचते ही उन्हें खुद से स्कूल के अन्दर जाने को कहें | ऐसा इसलिए की जब आप क्लास तक जायेंगे तो बच्चा जब क्लास में बैठ जायेंगे या आप को आते देख रोना शुरू कर दे या तो वह भी साथ में आने का जिद करने लगे |
उनके लंच में उनके पसंद के डिश बनाकर दे और रोज कुछ नया बनायें जिनसे उन्हें लगने लगेगा की स्कूल जाने से हमें नई-नई चीजें खाने को मिलने लगी है |
हर रोज उन्हें कुछ न कुछ लालच दे ताकी लालच के बहाने ही स्कूल जाना शुरू तो कर सकें |
स्कूल से लौटने के बाद उन्हें हर बात को प्यार के साथ पूछे या तो खुद लाते वक्त रास्ते भर बातें करें |
बच्चे को होमवर्क में मदद करें और उन्हें जो कठिन लगता हो उनका टेंशन लेने को न कहे बल्कि उन्हें सिखने के लिए प्रेरित करें |