School: देश की राजधान दिल्ली की शिक्षा नीति के चर्चे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की जिस तरह स्थिति बदली है, उससे अब देश के अन्य राज्य भी प्रभावित होने लगे हैं और अपने राज्य में भी दिल्ली के एजुकेशन मॉडल को अपना रहे हैं। दिल्ली के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की तर्ज पर झारखंड में 80 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया गया है। जिसकी चर्चा मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर काफी हो रही है।
झारखंड के सरकारी स्कूल्स की बदलेगी स्थिति
झारखंड के सरकारी स्कूल में अब लाइब्रेरी, सांइस लैब, डिजिटल स्मार्ट क्लास, लैंग्वेज लैब, स्पोर्ट्स ट्रेनिंग, कमर्शियल ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इसके साथ ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन स्कूलो को लेकर बड़ा दावा करते हुए कहा कि, इन स्कूलों में कॉन्वेंट स्कूलों की तरह ही पढ़ाई कराई जाएगी। स्कूलों की स्थिति बदलने से झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अब किसी भी मामले में पीछे नहीं रहेंगे। कार्यक्रम में सीएम ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि, आने 325 लीडर स्कूल और 4,091 ग्राम पंचायत स्तरीय आदर्श विद्यालय भी खोले जाएंगे।
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स्कूल ऑफ एक्सीलेंस क्या होते हैं?
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्कूल्स में कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को उनकी पसंद के स्किल की पढाई कराई जाती है। छात्र अपने पसंदीदा क्षेत्र में जाने के लिए खुद को तैयार करते हैं। दिल्ली के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इसलिए काफी चर्चा में रहते हैं। दिल्ली में अभी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM), कला, मानविकी, कौशल और सशस्त्र बल से विषयों की पढ़ाई कराई जाती है। अब इसी के आधार पर झारखंड सरकार भी स्कूल्स को तैयार कर रही है।
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