आखिर क्यों Uttar Pradesh के स्कूलों में लागू हो रहा नीदरलैंड्स का अर्ली वार्निंग सिस्टम? जानिए इस सिस्टम की खासियत

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार हर बच्चे को शिक्षा प्रदान करने की हर मुमकिन कोशिश करती हुई नजर आ रही है। प्रदेश में शिक्षा की अवेयरनेस को फैलाने के लिए कई कैंपेन भी चलाए जा रहे हैं। इन कैंपेन के जरिए पेरेंट्स को बच्चों के जीवन में पढ़ाई लिखाई का महत्व समझाया जा रहा है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के हाउसहोल्ड सर्वे की रिपोर्ट भी सामने आई है इस रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में 4.81 लाख, 2021-22 में 4 लाख और 2022 23 में 3.30 लाख बच्चों ने बीच में ही स्कूल छोड़ दिया।

यूपी में नीदरलैंड का अर्ली वार्निंग सिस्टम

स्कूल से ड्रॉपआउट करने वाले छात्रों की उम्र 6 से 14 साल है ऐसे में इन बच्चों का दोबारा दाखिला कराने के लिए यूपी सरकार ने एक नए मॉडल को लागू करने की तैयारी कर रही है। बच्चों के लगातार ड्रॉप आउट होने की शिकायत से उत्तर प्रदेश सरकार स्कूलों में नीदरलैंड की अर्ली वार्निंग सिस्टम लागू कर सकती है। बता दें कि, उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इस मॉडल को लागू करने के लिए मंत्री और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों की टीम नीदरलैंड जाएगी।

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क्या है नीदरलैंड का अर्ली वार्निंग सिस्टम

नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम में बच्चों को लेकर सजग रहने के लिए तैयार किया जाता है इस सिस्टम में स्कूल लगाता 40 दिनों तक अब्सेंट रहने वाले बच्चों की ट्रैकिंग शुरू कर देता है। स्कूल इससे बच्चों के अभिभावकों को संपर्क करता है और उन सभी वजहों का पता लगाता है जिससे बच्चा स्कूल क्यों नहीं आ पा रहा। कारण पता लगाने के बाद इन बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए टीम गठित की जाती है।

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