32 साल बाद Jammu-Kashmir के सभी स्कूलों में लौटी हिंदी भाषा, राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल

Jammu-Kashmir: हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अब जम्मू कश्मीर में स्कूल स्तर पर हिंदी पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है। जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड के सभी स्कूलों में पहली से दसवीं तक हिंदी विषय पढ़ाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया और उनसे कई सुझाव में मांगे गए। लेकिन स्कूलों में हिंदी भाषा को लागू करने के प्रस्तावित कदम ने फिर से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। पहली से दसवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाई जाने पर क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और उनका कहना है कि इससे छात्रों पर नहीं थोपा जाना चाहिए।

आठ सदस्यीय कमेटी का गठन

जम्मू कश्मीर स्टेट काउंसलिंग ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग में हिंदी भाषा को शामिल करने पर आठ सदस्यीय समिति का गठन किया। वही शिक्षा निदेशालय अपने एक आदेश में जम्मू और कश्मीर के स्कूलों में हिंदी भाषा का शिक्षण और इसे कैसे सिखाया जाए, इसके सुझाव के लिए प्रस्तावित कदम उठाने की बात कही। शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में कहा कि “जम्मू कश्मीर के स्कूलों में कक्षा पहली से दसवीं तक हिंदी भाषा के शिक्षण और सीखने के तंत्र का सुझाव देने के लिए समिति के गठन को मंजूरी दी है। समिति 20 फरवरी 2023 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। वहीं समिति की अध्यक्षता जेकेबीओएसई के चेयरमैन द्वारा की जाएगी। इसके बाद सात अन्य सदस्य भी शामिल होंगे।” 

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प्रस्तावित कदम पर राजनीतिक दलों ने खड़े किए सवाल

एससीईआरटी के एक प्रस्तावित कदम के मुताबिक क्षेत्र के राजनीतिक दलों के बीच एक नया विवाद खड़ा हुआ हैं। हिंदी को अब तक एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। लेकिन क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने जम्मू और कश्मीर के लोगों पर हिंदी को ठोकने के विचार का विरोध किया है। जबकि भाजपा पार्टी ने इस कदम की सराहना की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान क्षेत्रीय राजनीतिक दल के प्रवक्ता ने कहा कि “जब बीजेपी हर तरह से विफल हो गए हैं, तब वे यह कदम उठा रहे हैं। वह हमारी प्राथमिक भाषा कश्मीरी या जम्मू क्षेत्र को डोगरी भाषा की उपेक्षा क्यों करते हैं।” दूसरी ओर बीजेपी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि है कि “यह जम्मू कश्मीर के देश को बराबर लाएगा। इससे जम्मू कश्मीर के छात्रों को जम्मू-कश्मीर से बाहर रहने में भी मदद मिलेगी।” 

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