Yellow Watermelon: भारत के उत्तरी हिस्से में गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में अब गर्मियों के सीजनल फलों का बाजार में आना शुरू हो गया है। इस दौरान तरबूज भी बाजार में बड़े ही चाव से बिकता है और कई लोगों को तरबूज काफी पसंद होता है। सीजन के ताजा फलों में तरबूज की गिनती होती है, ऐसे में इस फल में काफी गुणकारी पौष्टिक तत्व भी पाएं जाते हैं।
पीले रंग का तरबूज
ऐसे में आपने लाल रंग का तरबूज तो खाया ही होगा, मगर क्या आपने कभी पीले रंग का तरबूज खाया है। आपको बता दें कि आजकल मार्केट में पीले रंग के तरबूज भी मिलने लगे हैं। ऐसे में जानिए कि ये पीले रंग का तरबूज कहां से आता है और इसका रंग पीला क्यों होता है।
तरबूज के इतिहास क्या है
अगर हम तरबूज के इतिहास को देखे तो दावा किया जाता है कि तरबूज की खेती सबसे पहले 5000 साल पहले साउथ अफ्रीका में शुरू हुई थी। इस दौरान पहले लाल बीज वहां पर पाए गए, इसके बाद 1000 साल बाद पीले बीज भी साउथ अफ्रीका में ही मिलें। कहा जाता है कि पीला तरबूज आमतौर पर रेगिस्तानी इलाकों में मिलता है। कम पानी वाले क्षेत्रों में इसकी पैदावार होने के कारण इस डेजर्ट किंग कहा जाता है।
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अनुसंधान में सामने आया नया दावा
एक अनुसंधान में ये दावा किया गया है कि तरबूज की उत्पति साउथ अफ्रीका में नहीं, बल्कि मिस्र में हुई थी। दावे के अनुसार, मिस्र में तरबूज की सबसे पहले खेती की गई थी। अध्ययन के मुताबिक, तरबूज उत्तर पूर्वी अफ्रीका के जंगलीं फसल से आए थे।
पीले रंग की तरबूज की श्रेणी
वहीं, अगर अध्ययन के दावे को मानें तो कहा जा रहा है कि मिस्र में 4000 साल पहले नील नदी के रेगिस्तान में खाएं जाते थे। इसका प्रमाण वहां की पेंटिंग में किया जाता है। दावा किया जा रहा है कि इस संबंध में डेढ़ दशक तक लंबी रिसर्च की गई है। तरबूज के पीले स्वरूप को सिट्रुलस लैनाटस के तौर पर जाना जाता है। यही वजह है कि इसके पीले रंग वाले तरबूज को कद्दू और लोकी की श्रेणी में रखा जाता है।
पीले रंग के तरबूज की खूबियां
आपको बता दें कि लाल रंग के तरबूज में लायकोपीन कैमिकल मिलता है। इसी वजह से इसका रंग लाल होता है, जबकि पीले रंग के तरबूज में ये कैमिकल नहीं पाया जाता है, इसलिए इसका रंग पीला होता है। दावा किया जाता है कि पीला रंग वाले तरबूज का स्वाद किसी शहद से कम नहीं होता है। पीले रंग वाले तरबूज में लाल रंग वाले तरबूज के मुकाबले अधिक मिठास होती है। पीले रंग वाले तरबूज में विटामिन ए और सी बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
इसके साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट और बीटा कैरोटिन नामक पौषक तत्व पाया जाता है। बीटा कैरोटिन इंसान की आंखों को स्वस्थ्य और कैंसर के खतरे बचाने में मदद करता है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि तरबूज को खाने से पहले इसे ठंडा करना चाहिए। इसके साथ ही पीले रंग के तरबूज में कैलोरी की मात्रा भी कम होती है।
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