Ragging:कॉलेज में रैगिंग के नाम पर बच्चों का खूब शोषण किया जाता है। हालांकि हमारे देश में रैगिंग को गैर कानूनी माना गया है और इसे रोकने के लिए जुर्माने से लेकर सजा तक का प्रावधान है। लेकिन उसके बाद भी रैगिंग नहीं रुक रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि, कानून बनने के बाद भी आखिर रैगिंग खत्म क्यों नहीं हो रही है ? और आखिर क्यों नए बच्चों को पुराने बच्चे कॉलेज में परेशान करते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि रैगिंग पुराने छात्र अपनी मन की खुशी और झूंझलाहट को निकालने के लिए करते हैं। कई नामी मनोचिकित्सक का दावा है कि, पुराने छात्र अपनी आत्मा की संतुष्टि को पूरा करने के लिए ऐसा करते हैं। खुद को सुपीरियर दिखाने के लिए वह इस तरह के कदम उठाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी रैगिंग का इतिहास आज से नहीं बल्कि 8वीं शताब्दी से हो रहा है। जिसमें पुराने बच्चों के द्वार नए बच्चो का शोषण किया जाता है।जिसके चलते हर साल कई सारे बच्चे परेशान होकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। यूजीसी ने 2009 में रैगिंग के बारे में एक रेग्युलेशन जारी किया था। जिसमें रैगिंग को रोकने के लिए कानून बनाया था।
रैगिंग करते हुए पकड़े जाने पर क्या-क्या होगी कार्रवाही?
रैगिंग करते हुए पकड़े जानें पर दोषियों को सस्पेंड या टर्मिनेट किया जा सकता है।
टेस्ट और एग्जाम में बैठने से रोका जा सकता है।
रिजल्ट पर रोक लग सकती है।
रैगिंग मेंं पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा हो सकती है।
रैगिंग की शिकायत में सत्यता पाई जाने पर कॉलेज और स्टूडेंट पर बड़ी कार्रवाही की जा सकती है।
रैगिंग को रोकने के लिए ऐंटि-रैगिंग सेल के द्वारा
रैगिंग की कहां करें शिकायत?
टोल फ्री नंबर 18001805522 या 155222 और ई-मेल: helpline@antiragging.net आईडी जारी की गई है। जिस पर पीड़ित छात्र कंप्लेन कर सकता है। शिकायत दर्ज होने के बाद यूजीसी के नियम के तहक कार्रवाही की जाएगी।
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