इन कारणों से लोग Same-Sex Marriage का कर रहे पुरजोर विरोध, जानें वजह

Same-Sex Marriage

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Same-Sex Marriage: साल 2018 में समलैंगिक विवाह को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया लेकिन इस पर किसी तरह का कानून अभी तक नहीं बना है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 को रद्द कर दिया था। वहीं समलैंगिक विवाह मामले ने पिछले साल एक बार फिर तूल पकड़ लिया और समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने की मांग जोर पकड़ने लगी। साल 2022 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। बता दें कि कुछ लोग समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा मिलने को लेकर सपोर्ट कर रहे हैं तो वहीं बहुत से लोग इसके विरोध में नजर आ रहे हैं। यहां हम आपको समलैंगिक विवाह के कुछ घातक कारणों से रूबरू कराने जा रहे हैं।

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प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन है समलैंगिक विवाह

पुराने समय में समलैंगिक विवाह को सामाजिक मान्यता नहीं मिली थी। अधिकतर धर्मों में समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध था और इसे नैतिक पतन का लक्षण माना जाता था जिसके कारण लामलैंगिक जोड़े को पकड़े जाने पर उन्हें कठोर सजा दी जाती थी। धीरे-धीरे समाज समलैंगिक विवाह को मानने लगा है। समलैंगिक जोड़े शादी करके एक साथ रहने को आजाद हैं लेकिन उनकी शादी अभी तक कानूनी नहीं है। लोगों का मानना है की इस तरह की शादी न केवल समाज के नियमों को तोड़ती है बल्कि प्राकृतिक नियमों का भी उल्लंघन करती है।

इन कारणों से समलैंगिक विवाह का किया जा रहा विवाह

कहा जाता है कि इस तरह की शादियां प्राकृतिक कानून का उल्लंघन है। शादी को दो इंसानों के बीच का संबंध माना जाता है। समाज में शादी का उद्देश्य शारीरिक संबंध बनाकर मानव श्रंखला को आगे बढ़ाना है लेकिन समलैंगिक शादियां इस नियम को तोड़ती हैं। इसके साथ ही समलैंगिक जोड़े अगर को बच्चा रखते हैं तो उन बच्चों का भविष्य प्रभावित होता है। बच्चों को मां और बाप दोनों का प्यार नहीं मिल पाता। कुछ लोगों का मानना है कि समलैंगिक विवाह समाज के नियम के साथ ही पारंपरिक शादियों के लिए भी घातक है। इस तरह की शादियां सोचने के नजरिए को प्रभावित करती हैं और बुनियादी नैतिक मूल्यों, पारंपरिक शादी के अवमूल्यन और सार्वजनिक नैतिकता को भी कमजोर करती हैं।

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