UPSC Success Story: दिल में कुछ करने का जुनून हो और आंखों में तैरता लक्ष्य हो। तो दुनिया में कोई आपको तुम्हें सफल होने से नहीं रोक सकता। बस धैर्य के साथ योजनाबद्ध तरीके से मिशन पर लगे रहिए। यूं तो दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों में सफल होने की अनगिनत कहानियां हैं, किन्तु भारत में देश की सबसे चुनौतीपूर्ण नौकरियों में से एक प्रशासनिक सेवा यूपीएससी परीक्षा को क्रेक करना जीवन की स्वर्णिम उपलब्धियों में से एक है। वो भी तब जब आप किसी मध्यमवर्गीय परिवार से आकर सफलता प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे ही एक आईएएस अधिकारी अंशुमन राज की सफलता की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं। जिन्होंने कैसे मूलभूत सुविधाओं के अभाव में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को हराकर आईएएस बनने का सपना पूरा किया।
जानें कौन हैं आईएएस अंशुमन राज
यूपीएससी परीक्षा को सफलतापूर्वक क्रैक करने वाले अंशुमन राज का जन्म बिहार के बक्सर में हुआ था। यूं तो बिहार के कठिन राजनीतिक, सामाजिक हालातों के मद्देनजर वहां के डीएनए में ही संघर्ष करने की अटूट पराकाष्ठा है। जिससे बिहार के लोगों ने मजदूरी से लेकर सिविल सेवाओं में अपनी छाप छोड़ रखी है। इसी जीवटता के धनी अंशुमन राज ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई अपने गांव के स्कूल से ही की। उसके बाद उन्हें अपनी 12वीं की पढ़ाई के लिए झारखंड की राजधानी रांची जाना पड़ा।
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सेल्फ स्टडी के दम पर किया यूपीएससी क्रैक
अंशुमन राज ने आईएएस बनने का सपना शुरू से ही आंखों में सजा रखा था। जिसके लिए उन्होंने बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ही परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया। गांव में बिजली के अभाव में मिट्टी के तेल की ढिबरी की सहायता से अध्ययन किया। परिश्रम की पराकाष्ठा के दम पर अंशुमन ने अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक कर दी। लेकिन रैंक के आधार पर उन्हें आईआरएस का पद मिला था। आईआरएस बनने के बाद भी अंशुमन राज ने आईएएस बनने का सपना नहीं छोड़ा और उन्होंने अपने चौथे प्रयास में 2019 में प्रशासनिक अधिकारी बनने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया। इस बार उन्होंने 107 वीं रैंक हासिल करने के साथ आईएएस का पद प्राप्त कर लिया।
आईएएस अंशुमन राज की युवाओँ को सलाह
आज आईएएस अंशुमन राज भारत के इस सबसे प्रतिष्ठित पद के लिए तैयारी कर रहे युवाओं को सलाह देते हैं कि आज गांव में भी रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की जा सकती है। बशर्ते अभ्यर्थी के पास आज के समय में इंटरनेट कनेक्शन हो जाए। इसके साथ ही एक सटीक रणनीति और बेहतर योजना के साथ सतत कोशिशों को करने का जज्बा होना चाहिए। इसके बाद सीमित संसाधनों के दम पर सफलता पाई जा सकती है।
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