GLA University : इंटर पास छात्र अब जनरल डिग्री प्रोग्राम के तर्ज पर बीटेक ऑनर्स की पढ़ाई कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा नए शौक्षणिक सत्र 2023-24 से बीटेक ऑनर्स, कोर्स शुरू कर रहा है। यह अपनी तरह का पूरे देश में पहला कोर्स जो दो विश्व विख्यात कंपनियों की पार्टनरशिप और भविष्य की दो सबसे महत्वपूर्ण तकनीकियों को एक कोर्स में पिरोता है।जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कंप्यूटर इंजीनियरिंग एंड एप्लीकेशन विभाग में एक नए कोर्स का शुभारंभ किया गया। इस कोर्स का शुभारम्भ मुख्य अतिथि एनईसी कारपोरेशन के एसोसिएट वाईस प्रेसिडेंट काजुयुकि ताकायमा, विषिश्ट अतिथि एनईसी इंडिया के सेल्स हैड गौतम गिल, एनईसी इंडिया के आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस प्लेटफाॅर्म हैड दीपक झा, इंटेल कारपोरेशन के बिजनेस मैनेजर गिरीश एच तथा एडुलेटरल फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. प्रदीप, जीएलए के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, डीन-एकेडेमिक्स प्रो. आशीष शर्मा, डीन सीईए प्रो. अशोक भंसाली, एसोसिएट विभागाध्यक्ष डॉ. शशि शेखर तथा ने मां सरस्वती तथा प्रेरणास्तोत्र स्व. श्री गणेशी लाल अग्रवाल के चित्रपट पर माल्यार्पण तथा उनके समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
शुरू हुआ अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनालिटिक्स में स्नातक कोर्स
कार्यक्रम की शुरुआत डीन-सीईए प्रो. अशोक भंसाली ने सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया और इस नए कोर्स के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इस नवीन कोर्स का नाम बीटेक (ऑनर्स) सीएसई विद स्पेशलाइजेशन इन एआई एंड एनालिटिक्स है। यह कोर्स विश्वविख्यात सेमीकंडक्टर कंपनी इंटेल तथा आईटी और नेटवर्क समाधान प्रदान करने वाली कंपनी एनईसी से संबद्ध है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तथा एनईसी के एसोसिएट वाईस प्रेसिडेंट काजुयुकि ताकायमा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पूरे विश्व में वर्तमान दौर में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा डाटा एनालिटिक्स का जोर है। इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। अगर देखा जाय तो प्रत्येक क्षेत्र में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हमारे दैनिक कार्यों को भी काफी हद तक सुगम बना दिया है। यदि यह कहा जाए कि आज अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हम सभी के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, तो यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। साथ ही उन्होंने जीएलए विश्वविद्यालय के प्रबंधन तंत्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के अनूठे कोर्स को इंडस्ट्रीज की मांग के अनुरूप ही डिजाइन करना तथा स्नातक स्तर से ही विधार्थियों को तैयार करना बहुत ही सराहनीय कदम है।इसी क्रम में इंटेल कारपोरेशन के बिजनेस मैनेजर गिरीश एच ने कहा कि इंटेल तथा एनईसी से सम्बद्ध यह अपने आप में एक अनूठा कोर्स है, जो कि बहुत सारी संभावनाओं को समेटे हुए है। इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य ऐसे सक्षम इंजीनियरों को तैयार करना है, जो डेटा एनालिटिक्स, वैज्ञानिक गणना, संख्यात्मक और सांख्यिकीय विश्लेषण और अन्य मशीन लर्निंग क्षमताओं को विकसित करके क्षेत्र में योगदान दे सकते हैं। एडुलेटरल फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. प्रदीप ने भी सभी को संबोधित करते हुए कहा कि इस कोर्स के अंतर्गत आयोजित होने वाली लैब्स के माध्यम से विद्यार्थी नवीनतम तकनीकों से भी रूबरू होंगे और अपने प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वन बेहतर रूप से कर सकेंगे। साथ ही उन्होंने कहा की उन्हें आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि इस कोर्स के विद्यार्थी अपने अंदर लीडरशिप तथा नवाचार जैसे स्किल्स डेवेलप कर सकेंगे।
प्रमुख लोगों ने की शिरकत
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि इंटेल तथा एनईसी जैसी प्रतिष्ठित कंपनी ने जीएलए विश्वविद्यालय पर भरोसा जताते हुए इस कोर्स की संबद्धता स्वीकार की है। यह विश्वविद्यालय के कठिन परिश्रम, लगन तथा निरंतर प्रगति को ही दर्शाता है।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन एसोसिएट विभागाध्यक्ष डॉ. शशि शेखर ने देते हुए कहा कि वह सभी आगंतुकों के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय देकर इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में 20 से भी अधिक कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ आगरा, अलीगढ, मथुरा तथा अन्य जनपदों के 50 से भी अधिक प्रतिष्ठित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में 200 से अधिक विद्यार्थियों के साथ-साथ विभागीय शिक्षकगण भी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि इस बहुआयामी कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया इसी सत्र से शुरू हो रही है।इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में डीन कोलाॅबोरेशन प्रो. दिलीप कुमार शर्मा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. हिमांशु शर्मा, एसोसिएट विभागाध्यक्ष प्रो. हितेंद्र गर्ग, डॉ. रोहित अग्रवाल, डॉ. संदीप राठौर, डॉ. नीरज गुप्ता, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. राहुल प्रधान, अनुपम यादव, रूचि अग्रवाल आदि का योगदान रहा।
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