Toilet In Indian Railway:एक भारतीय की चिट्ठी ने बदल दी रेलयात्रा की तस्वीर,जानें क्या है ट्रेन में टॉयलेट लगाने की कहानी

Toilet In Indian Railway: भारतीय रेलवे डेढ़ दशक से भी ज्यादा की यात्रा कर चुकी है। 16 अप्रैल 1953 से शुरू हुआ इसका सफर 170 साल पूरे कर चुका है। लेकिन इन 170 सालों में इसने कई मील के पत्थर पार कर लिए हैं। आज जिस तरह की तरह की आधुनिक हाईटेक तकनीकी सुविधाओं से लैस ट्रेनों को भारतीय पटरी पर दौड़ते देख रहे हैं। आप सुनकर हैरान हो जाएंगे। उस भारतीय रेलवे में शुरूआत के 56 सालों तक एक टॉयलेट की सुविधा तक नहीं थी। जी हां आपने एकदम सही पढ़ा। साल 1919 तक भारतीय रेलवे पटरियों पर बिन टॉयलेट यूं ही सरपट दौड़ती रही। उस समय ट्रेन में टॉयलेट के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। तब फिर सवाल उठता है कि आखिर 56 साल बाद अचानक ऐसा क्या हुआ कि रेलवे को ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा जोड़ने को मजबूर हो गई। ये शायद यूं ही आगे चलता रहता, यदि एक भारतीय ने इस जरूरत के लिए रेलवे को वो एतिहासिक चिट्ठी न लिखी होती। तो आइये जानते हैं उस चिट्ठी का असल सच…

जानें कैसी थी तब की ट्रेन यात्रा

भारत में जब बिना टॉयलेट के ट्रेन की शुरूआत हुई, तब से ट्रेन में टॉयलेट बनने तक रेलयात्री को यात्रा करते समय बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। यदि यात्री को बीच सफर में शौच जाना होता, तो उसे अगले स्टेशन पर गाड़ी के रूकने तक रोक के रखना पड़ता था। उसमें भी रिस्क ये होता था कि ट्रेन के रुकने के दौरान आप शौच के लिए उतर गए और ट्रेन चल दी तो ट्रेन के छूट जाने का खतरा रहता था। शायद इसी तरह की एक घटना 56 साल बाद 1909 में पहले टॉयलेट को लगाने की वजह बन गई। जिसके बाद ट्रेन में यात्रा कर रहे एक भारतीय यात्री ओखिल चंद्र सेन को एक चिट्ठी अंग्रेज अफसरों को लिखने पर मजबूर कर दिया।

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क्या थी वो ऐतिहासिक चिट्ठी

ओखिल चंद्र सेन की तरफ से 2 जुलाई 1909 को साहिबगंज रेल डिवीजन पश्चिम बंगाल को एक चिट्ठी लिखी। इस दर्द भरी भावुक चिट्ठी के बाद ही 1909 में रेलवे अधिकारियों ने ट्रेन में टॉयलेट बनवाना शुरू कर दिए। इसके बाद रेलवे प्रशासन तय किया कि 50 मील से ज्यादा चलने वाली सभी ट्रेनों के लोअर क्लास डिब्बों में टॉयलेट होंगे। ओखिल चंद्र सेन की चिट्ठी के मुताबिक ‘मैं एक यात्री ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन आया और मेरा पेट दर्द की वजह से सूज रहा था। मैं शौच के लिए किनारे बैठ गया। इसी बीच गार्ड ने सीटी बजा दी और ट्रेन चल पड़ी। मैं एक हाथ में लोटा और दूसरी में धोती पकड़कर दौड़ा और प्लेटफॉर्म पर गिर गया। मेरी धोती खुल गई और मुझे वहां मौजूद सभी महिला पुरुषों के सामने शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। मेरी ट्रेन छूट गई और मैं अहमदपुर स्टेशन पर ही रह गया।
आगे गार्ड पर गुस्सा जाहिर करते हुए सेन ने लिखा कि यह कितनी खराब बात है कि शौच करने गए एक यात्री के लिए ट्रेन का गार्ड कुछ मिनट रुक भी नहीं सकता। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उस गार्ड पर भारी जुर्माना लगाया जाए। अन्यथा मैं इस बारे में अखबारों में बता दूंगा। आपका विश्वसनीय सेवक, ओखिल चंद्र सेन’

सौजन्य से -सोशल मीडिया

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