Success Story: बचपन में हर बच्चे की पहली खाव्हिश होती है कि वह बड़ा होकर आईएएस और पीसीएस बनेगा। ऐसे में इसके लिए जब वह अपने माता – पिता को इसकी जानकारी देता है कि उसे बड़ा होकर यह नौकरी करनी है तो वह बहुत ही खुश होते हैं। ऐसे में कई बार एक लोग के नौकरी लग जाने के बाद यह सिलसिला चलता रहता है और घर के दो से तीन पीढ़ी एक ही तरह की नौकरी करती रहती है। लेकिन एक ऐसा गांव भी है जहां सबसे ज्यादा लोग आईएएस और पीसीएस बनकर निकलते हैं।
यहां एक दो पीढ़ी नहीं बल्कि कई पीढ़ी से पूरे गांव का हर एक सदस्य प्रसाशनिक नौकरी करता आ रहा है। इस गांव के बारे में बताया जाता है कि लगभग 75 परिवार रहते हैं इसमें से 47 से भी ज्यादा लोग अलग – अलग पदों पर सिविल सेवा में अधिकारी है। अब आपके मन में चल रहा होगा कि आखिर ऐसा कौन सा गांव है तो आइए आज हम आपको इस गांव के बारे में रूबरू करवाते हैं।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में है यह गांव
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलो मीटर की दुरी पर जौनपुर जिला पड़ता है। इस जिले में एक गांव है माधोपट्टी। इस गांव के लोगों के सफलता की कहानी इतिहास के किताबों में पढ़ी जाती है। यहां एक या दो नहीं बल्कि 47 लोग आज के समय में सिविल सेवा में अधिकारी हैं। यहां के लोग केवल सिविल सेवा की ही नौकरी नहीं कर रहे हैं बल्कि कुछ लोग इसरो और विदेश की कई बड़ी कंपनियों में काम कर चुकें हैं। इस गांव के बारे में बताया जाता है कि साल 1914 में पहली बार मुस्तफा हुसैन नाम के व्यक्ति आईएएस बने थे। उनके आईएएस बनने के बाद मानों यहां के लोगों के खून में ही अधिकारी बनने का जूनून सवार हो गया हो। यह सिलसिला आज भी जारी है और बड़े होकर बच्चे अक्सर प्रसाशनिक अधिकारी बनते हैं।
कठिन परिश्रम से मिली लोगों को सफलता
यहां पर सिविल सेवा में अधिकारी बनने वाले लोगों की मानें तो कठिन परिश्रम के बाद उनको यह सफलता मिलती है। इसके लिए वह अपने बच्चों को पहले से ही उस तरह से तैयार करने लगते हैं जैसा वह बनना चाहता है। वहीं इस गांव में बहुत से लोग ऐसे भी थे जो बिल्कुल ही गरीब परिवार से आते थे और आज देश में अपना परचम लहरा रहे हैं। बताया जाता है कि इस गांव के लोग ज्यादातर खुद से ही पढाई करते हैं। गांव से दूर – दूर तक कोई भी अच्छी कोचिंग नहीं है ऐसे में घर के परिजन ही अपने बच्चों को पढ़ाते हैं।
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