SOS Meaning: जब भी आप कहीं जाते होंगे तब वहां कई तरह के सिंबल्स दिखने को मिलते हैं। बहुत से सिंबल्स के बारे में हमें पता होता है वहीं कुछ सिंबल्स के बारे में हम नहीं जानते। उनमें से बहुत से सिंबल्स ऐसे होते हैं जो संकट के समय कम आते हैं। इनमें से एक सिंबल SOS भी होता है जो संकट के समय काफी काम आता है। क्या आप जानते हैं कि SOS का क्या अर्थ होता है और इसका क्या काम होता है? अगर नहीं जानते हैं तो बता दें कि हम इस आर्टिकल में आपको SOS का अर्थ और उसके इस्तेमाल के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके बेहद काम आ सकता है।
SOS का फुल फॉर्म
SOS का फुल फॉर्म “Save Our Souls” या Save Our Ship होता है। यह एक शक्तिशाली प्रतीक है। यह एक तरह का संकट कॉल होता है जिसे आपातकाल के समय सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस शब्द का मतलब होता है “हमें बचाओ” इस प्रतीक का अर्थ होता है कि हम खतरे में हैं और हमें सहायता की जरूरत है। इस प्रतीक का इस्तेमाल अकसर आपातकालीन स्थितियों में किया जाता है और इसकी शुरुआत 1900 दशक की शुरुआत में समुद्री संचार के लिए किया है।
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क्या है SOS संकेत?
SOS एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संकट संकेत है। इसकी शुरुआत 1900 दशक में हुई थी। यह आपके मुसीबत में होने के संकेत देता है। SOS Signal में तीन बिंदु होते हैं और उसके बाद तीन डैश और फिर तीन बिंदु होते हैं। इसे इस तरह से (…—…) डिकोड किया जाता है। यह एक मोर्स कोड अनुक्रम है। इस सिग्नल का इस्तेमाल तब किया जाता था जब कोई व्यक्ति किसी सूनसान द्वीप में फंसा हो या जंगल में खो गया हो। ऐसे समय में SOS सिग्नल की मदद से लोगों का ध्यान आकर्षित होता था और किसी के मुसीबत में फंसे होने का अंदेशा लगता था। इसके बाद बचावकर्ता उस व्यक्ति को बचाने का हर संभव प्रयास करता है। बता दें कि उस समय SOS भेजने के कई तरीके होते थे। आइए जानते हैं SOS सिग्नल भेजने के तरीके……..
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दर्पण की मदद से भेजते थे सिग्नल
तब के समय में लोग दर्पण (Mirror) की मदद से सिग्नल भेजते थे। सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके SOS सिग्नल भेजना सबसे आम और प्रभावी तरीकों में से एक माना जाता है।
स्मोक सिग्नल भी एक लोकप्रिय तरीका
तब के समय में Smoke भी SOS सिग्नल भेजने के लोकप्रिय तरीकों में एक था। अब अगर आप यह सोच रहे हैं कि स्मोक सिग्नल क्या होता है तो बता दें कि उस समय व्यक्ति कुछ चीजों को जलाकर उससे धुआं करके यह सिग्नल भेजते थे कि वे किसी मुसीबत में हैं।
टॉर्च की रोशनी से भी भेजते थे सिग्नल
आपको जानकर हैरानी होगी कि 1900 दशक में लोग अपने परेशानी में होने का संकेत देने के लिए टॉर्च की मदद से भी SOS सिग्नल देते थे। इसकी वजह यह है कि टॉर्च की रोशनी कापी दूर से दिख जाती है इसलिए लोगों को इस बात का पता चल जाता है कि सामने वाला व्यक्ति परेशानी में है।
बैनर या झंडा भी दिया जाता था संकेत
बता दें कि पुराने समय में SOS संदेश लिखने के लिए किसी बैनर या झंडे का भी इस्तेमाल किया जाता था। लोग परेशानी में होने के वक्त अपने पास उपलब्ध झंडे और बैनर का इस्तेमाल करके भी अपने परेशानी में होने का संकेत देते थे।
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