Science: जमीन से जब आसमान की तरफ देखते हैं तो आसमान पूरी तरह नीला दिखाई देता है। इस पर कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य का प्रकाश धरती के वातावरण में प्रवेश करते ही धूल के कणों से टकराकर बिखर जाता है। बिखरा हुआ प्रकाश नीले और बैंगनी रंग का होता है। नीले रंग प्रकीर्णन बैंगनी की तुलना में कहीं ज्यादा होता है। यही वजह है कि आसमान का रंग अधिकांशत: नीला ही दिखाई देता है। अब सवाल उठता है कि एक सूर्य की वज़ह से जब आसमान नीला दिखता है तो कई सूर्य होने के बाद भी अंतरिक्ष काला क्यों दिखाई देता है?
अंतरिक्ष क्यों दिखता है काला
सूर्य प्रकाश के प्रकीणर्न की वज़ह से आसमान हमें नीला दिखाई देता है। अंतरिक्ष में ना तो वायुमंडल ना ही प्रकाश की प्रकीर्णन होता है। यही कारण है कि अंतरिक्ष हमेशा काला दिखाई देता है। इस थ्योरी से साबित होता है कि अगर अंतरिक्ष में भी भी पृथ्वी की तरह वायुमंडल होता तो वहां भी प्रकाश का प्रकीर्षन होता और संभवत: वहां भी आसमान का रंग नीला दिख सकता था।
आंखों की भी होती है वज़ह
इस बात को इस थ्योरी से समझा जा सकता है कि हम जब एक अंधेरे कमरे में टार्च जलाते हैं तो उसकी रोशनी हमारी आंखों में सीधी नहीं पहुंचती है। इसके बावजूद हमें पता होता है कि कमरे में टार्च की रोशनी फैल रही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब टार्च की रोशनी कमरे में मौजूद धूल के कणों से टकराकर प्रतिबिम्ब बनाती है और वह प्रतिबिम्ब हमारी आंखो तक पहुंचती है। इसे से हमे कमरे में रोशनी फैलती दिखाई देती है। अंतरिक्ष में सूर्य की रोशनी जरूर होती है, लेकिन वहां ना तो वायुमंडल है और न ही प्रकाश का प्रकीर्णन हो पाता है…इसलिए हमारे आखों को अंतरिक्ष काला दिखाई देता है।
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