Science: दुनिया में रसों पर बहुत पहले से विद्वानो ने काम किया है। विद्वानो के मुताबिक इंसान के अंदर कई प्रकार के रस पाये जाते हैं। उन्हीं में से एक सबसे अहम हास्य रस माना जाता है। इस रस के बारे में शास्त्रों से लेकर नाटक, कहानी, वे मनोविज्ञान की किताबों में बहुत कुछ लिखा गया है। हसी से पैदा होता है हास्य रस। आदमी को लेकिन हंसी कैसे आती है। कब और क्यों आती है। इसका एक साइंटिफिक कारण है।
एंडॉरफिंन्स (Endorphins)केमिकल क्या है?
एक इंसान 24 घंटे के अंदर कई तरह के रसों से गुजरता है। वह सुनकर, देखकर, या स्पर्ष से जैसा भी महसूस करता है, वैसे ही रस की उतपत्ति उसके अंदर होती है। हास्य रस की उतपत्ति कैसे होती है। इसके लिए कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे ही आप या तो कोई चीज ऐसी सुनतें हैं, या देखते हैं या महसूस करते हैं जिस से आपके मन में आनंद की उत्पत्ति होती है। वैसे ही आपके दिमाग में एंडॉरफिंन्स (Endorphins)नाम का एक केमिकल बनने लगता है। यही केमिकल आपको खुशी का एहसास कराता है जिसके उत्पन्न होने पर आप हंसने लगते हो। हालांकि इसमें साइकोलॉजिस्ट क्रिस्टिन जेर्रेट का मानना है कि इंसान किन चीजों पर हंसेगा इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है। उनका कहना है कि इंसान किस बात पर हंसेगा ये खुद उसका हयूमर तय करता है।
लॉफिंग गैस जिस से हंसने लगते हैं लोग
नाइट्रस ऑकसाइड को ही लाफिंग गैस या हंसाने वाली गैस कहते हैं। इसकी खोज वैज्ञानिक जोजफ प्रीस्टली ने सन 1993 में की थी। इस पर ब्रिस्टल के न्यूमैटिक इंस्टिटयूट के हम्फ्री डेवी ने कुछ प्रयोग किए और पाया कि कुछ लोग इसे सूंघते ही हंसने लगते हैं। इस गैस का नाम इसी कारण लाफिंग गैस रखा। हालांकि ज्यादातर डॉक्टर का यही कहना है कि हंसना एक नेच्यूरल प्रक्रिया है।
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