Rent Agreement Rules: अकसर जब कोई किराए का घर लेता है तो मकान मालिक के साथ 11 महीने का एक रेंट एग्रीमेंट होता है। 12वें महीने में उस रेंट एग्रीमेंट को रिन्यू कराया जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कोई रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का ही क्यों होता है इससे ज्यादा का क्यों नहीं? आज इस आर्टिकल में हम आपको इस सवाल का जवाब तो देंगे ही साथ ही यहां हम आपको रेंट एग्रीमेंट से जुड़े कुछ तथ्य बताने वाले हैं जिन्हे जानकर आपको भी ये बात समझ में आ जाएगी कि देश के ज्यादातर कानून किरायेदार के पक्ष में हैं।
यह भी पढ़ें: UPSC NDA NA II final result: यूपीएससी एनडीए का परिणाम हुआ जारी, 538 उम्मीदवारों का हुआ चयन
आखिर क्या है रेंट एग्रीमेंट?
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि आखिर रेंट एग्रीमेंट क्या है? बता दें कि इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के सेक्शन-17 D के तहत किराए के मकान का एक साल से कम अवधि के लिए कुछ नियम और शर्तों के साथ एक एग्रीमेंट बनाया जाता है। यह एग्रीमेंट रेंट और लीज दोनों के लिए हो सकता है। यह एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार के बीच होता है। इस एग्रीमेंट में किरायेदार और प्रॉपर्टी मालिक के बीच तय की गई शर्तें लिखी होती हैं।
11 महीनों के लिए ही क्यों बनता है रेंट एग्रीमेंट?
देश का कानून अधिकतर किरायेदार के पक्ष में होता है। ऐसे में अगर किरायेदार और मकान के बीच किसी तरह का विवाद हो जाता है तो घर खाली कराना काफी मुश्किल हो जाता है। कई मामलों में देखा गया है कि प्रॉपर्टी मालिकों को अपना ही घर खाली करने के लिए कोर्ट – कचहरी तक के चक्कर लगाने पड़े हैं। इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत 12 महीने या उससे ज्यादा समय की अवधि का रेंट एग्रीमेंट बनवाने पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना पड़ता है जिसके कारण ज्यादातर लोग इस खर्चे से बचने के कारण एक साल से कम अवधि वाला रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं।
यह भी पढे़ं Karnataka 2nd PUC Result: कर्नाटक बोर्ड ने जारी किए 12वीं के नतीजे, यहां चेक करें अपना रिजल्ट
एजुकेशन की तमाम खबरों के लिए हमारे YouTube Channel ‘DNP EDUCATION’ को अभी subscribe करें।