Rabindranath Tagore Jayanti 2023: भारत के अलावा और किन दो देशों के राष्ट्रगान रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखे

Rabindranath Tagore Jayanti 2023: भारत का राष्ट्रगान किसने लिखा जब भी सवाल पूछा जाता है जवाब में टैगोर का नाम लिया जाता है। रवींद्रानाथ टैगोर की उपलब्धियां कम नहीं है। उन्होंने राष्ट्रगान के अलावा कला के क्षेत्र में, संगीत में बहुत कुछ हमें दिया है। आज रवींद्रानाथ जयंती के मौके पर उनके जीवन की झलक में देखते हैं कि उन्होंने भारत को क्या क्या दिया है।

रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। वह अपने 13 बहन भाईयों में सबसे छोटे थे। उनके घर में सब उन्हें प्यार से रबी बुलाते थे। रविंद्र नाथ को बचपन से ही अपने घर में एक साहित्यक माहौल मिला। यही कारण था कि उन्हें साहित्य से लगाव था। उन्होंने जीवन भर साहित्य की सेवा की थी। यह बात हालांकि अलग है कि रवींद्र नाथ टैगोर बैरिस्टर बनना चाहते थे। उन्होंने 1878 में शिक्षा पाने के लिए इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन पब्लिक स्कूल में एडमिशन लिया। उसके बाद कानून की पढ़ाई के लिए वो लंदन यूनिवर्सिटी में चले गये। वहां उन्होंने पढाई भी पूरी नहीं की थी कि वापस लौट आये।

पहली कविता लिखने में लगा 8 साल का समय

बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर ने आठ वर्ष की उम्र में कविता लिखना शुरू कर दिया था। वह जब 16 साल के थे तब उन्होंने छद्म नाम ‘भानु सिंह’ के तहत कविताओं का अपना पहला संग्रह जारी किया। वह भारत ही नहीं एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें साहित्य के लिए 1913 में अपनी रचना गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भी रविंद्रनाथ से साहित्य कला और संगीत में बहुत कुछ नया दिया। उनके नाम से ही आज बंगाल में शांति निकेतन बनाया गया।

टैगोर ने अपने ही देश का नहीं और भी दो देशों के लिखे राष्ट्रगान

रवींद्र नाथ टैगोर प्रतिभा के धनी आदमी थे। कला उनके रग-रग में बहती थी। कला के लिए ही उन्होंने पूरे का पूरा जीवन अर्पित कर दिया। वह एक नाटक कार भी थे, वह एक संगीतकार भी थे, उन्होंने साहित्य में भी बहुत कुछ लिखा था। वह एक बहुत ही सुंदर चित्रकार भी थे। वह भारत के एक मात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और बंग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ उन्होंने ही लिखा था। इसके श्रीलंका का राष्ट्रगान भी उनकी कविता का एक हिस्सा है।

रविंद्र नाथ जब लोटाया सम्मान

टैगोर भारतीय क्या पहले एशियन थे जिन्हें साहित्य के लिए नोबेल मिला था। टैगोर ने इस नोबेल को सीधा नहीं स्वीकार किया था। उनकी जगह पर ब्रिटेन के एक राजदूत ने पुरस्कार लिया था। ब्रिटेन ने टैगोर को नाइट हुड यानि सर की उपाधि से भी नवाजा था। भारत में जब जलियां वाला बाग कांड हुआ तो 1919 में टैगोर ने इस उपाधि को लौटा दिया।

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