NEET PG 2023: मुंबई के कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन (सीपीएस) के डिप्लोमा की मान्यता वापस लेने के लिए एनएमसी ने सिफारिश की है। 1200 से अधिक एमबीबीएस डॉक्टरों के हर साल ये डिप्लोमा प्रदान किया जाता है। इसके बाद उन्हें विशेषज्ञ के रूप में माना जाता है। चिकित्सा नियामक (नेशनल मेडिकल कमीशन) के मुताबिक सरकार सीपीएस डिप्लोमा के लिए पीजी समकक्षता को समाप्त करें जो डॉक्टरों को विशेषज्ञ बनाती है।
यदि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एनएमसी की सिफारिश को स्वीकार कर लिया जाता है तो आगामी शैक्षणिक सत्र में एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए पीजी सीटें कम हो सकती हैं। साल 2017 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) के सुझाव पर अधिसूचित किया गया कि CPS द्वारा संचालित सभी डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को 2009 से पूर्वव्यापी रूप से स्नातकोतर डिग्री के समकक्ष माना जाएगा।
2020 में एनएमसी ने एमसीआई को रिप्लेस किया
दर प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएमसी जिसने साल 2020 में एमसीआई को भारत के चिकित्सा शिक्षा नियामक के तौर पर रिप्लेस किया। उनसे स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखते हुए कहा कि पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड ने इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया और पाया कि डिप्लोमा पाठ्यक्रम पीजी समकक्षता प्रदान करना और एनएमसी के दायरे से बाहर था।
इन डिप्लोमा कोर्सों को वापस लेने की सिफारिश
वहीं पीजीएमईबी ने यह सिफारिश की थी कि तीन डिप्लोमा पाठ्यक्रम (डीपीबी, डीसीएच और डीजीओ) जिनके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने समकक्षता प्रदान की है उन्हें अगले शैक्षणिक सत्र से वापस ले लिया जाना चाहिए। एनएमसी ने अब एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए केवल दो स्नातकोत्तर योग्यताओं को मान्यता दी है। जिनसे एमएस/एमडी और डीएनबी (डिप्लोमेंट ऑफ नेशनल बोर्ड ) शामिल है।
द प्रिंट की इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के पास से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं पाई पाई। वहीं इस संबंध में एनएमसी के अध्यक्ष डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा और आयोग प्रवक्ता डॉ. योगेंद्र मलिक की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।