MP Teacher’s Recruitment in Universities: 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 75 फीसदी पद खाली, ऐसे हो सकती है भर्ती!

MP Teacher’s Recruitment in Universities: उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले एमपी के अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, एमपी भोज(मुक्त) विश्वविद्यालय सहित 13 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 75 फीसदी पद खाली पड़े हैं। यूनिवर्सिटी अपने स्तर से भर्ती नहीं कर पा रहीं हैं। इस विकट स्थिति में इन विश्वविद्यालयों के कुछ कुलपति चाहते हैं कि किसी बाहरी एजेंसी के माध्यम से इन शिक्षकों की कमी पूरी की जाए तो कुछ कुलपतियों की राय है कि एमपी पीएससी के माध्यम से इन प्रोफेसर्स की भर्ती कर कमी को दूर किया जाए। इस संबंध में एमपी हाईकोर्ट ने एक दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सीधे-सीधे पूछा है कि क्यों न इन रिक्त पदों को एमपी पीएससी के माध्यम से भर दिए जाएं।

जानें कितने पद हैं खाली

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुछ विधि छात्रों का कहना है कि वो बीए एलएलबी के 5 वर्षीय कोर्स के स्टूडेंट हैं। जबकि विभाग में कोई नियमित प्रोफेसर नहीं है। जबकि कोर्ट में कहा गया है कि लॉ फैकल्टी में 4 नियमित टीचर हैं। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्टमित्र वरिष्ठ वकील नमन नागरथ ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग ने आंकड़ा देते हुए खुलासा किया कि एमपी की कुल 13 यूनिवर्सिटीज में 1442 पद स्वीकृत पद हैं जबकि इनमें से 1428 अभी तक खाली पड़े हुए हैं। खास बात यह है कि 2014 में शासन स्तर पर एक कोशिश की गई थी कि एमपीपीएससी के माध्यम से भर्ती हो जाए किन्तु प्रयास सफल नहीं हो सका।

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कोर्ट ने पूछा राज्य सरकार से

अब एमपी हाईकोर्ट ने सक्रियता दिखाते हुए एक दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सीधा-सीधा पूछ लिया है। उसने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के विधि विभाग में टीचरों की कमी से जुड़े मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगते हुए पूछ लिया है। क्यों न विश्वविध्यालयों के खाली पदों को पीएससी के माध्यम से भर दिया जाए ?

जानें क्या है अड़चन

बता दें सन 2014 में राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग मप्र विधि अधिनियम 1973 में संशोधन विधेयक तैयार किया था। लेकिन तत्कालीन कुलपतियों के भारी विरोध के कारण इस संशोधन विधेयक को राजभवन से स्वीकृति नहीं मिली थी। ओेएसडी रहे बीयू के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ एचएस त्रिपाठी के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग में किसी त्रुटि पर शासन स्तर पर कार्रवाई होने के डर से, आरक्षण जैसे मुद्दों के कारण भर्तियां नहीं हो पा रही थीं।

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