Mother’s Day: इस पृथ्वी पर सबसे ज्यादा त्याग मां का ही है। इसीलिए उसे देवी का रूप दिया गया। कुछ सूफी संतों ने तो यहां तक कहा है कि जितने कष्ट मां इस धरती पर उठाती है। यह किसी साधारण मनुष्य के लिए संभव नहीं है। मां को भगवान का ही वरदान प्राप्त है कि वो सभी कष्टों को झेलकर इस सृष्टि को बचाये रखती है। सबके दुखों को निवारण करती हैं। दुनिया का कोई भी कोना हो, दुनिया का कोई भी धर्म हो, दुनिया का भी समुदाय हो मां के प्रति सबकी आस्था और भाव एक ही जैसे होते हैं। हर धर्म में मां को पूजनीय बताया है। मां के प्रति आस्था आज से नहीं प्राचीन सभ्यताओं से देखने को मिलती है। मानव सभ्यता ने जैसे-जैसे विकास किया। उसकी आस्था मां के प्रति और ज्यादा बढ़ती चली गई। इसी में सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए साल 1912 से मदर्स डे दुनिया भर में मनाया जाने लगा। हालांकि इतिहास में ग्रीक सभ्यता से लेकर रोम तक मां के लिए एक खास दिन मनाने के बहुत से साक्ष्य मौजूद हैं।
क्यों मनाया जाता है मदर्स डे
मदर्स डे से भी पहले युरोप और ब्रिटेन में मां को सम्मान देने के लिए कई तरह की प्रथाएं थीं। उसी प्रथा के तहत एक खास रविवार को मां को सम्मानित किया जाता था। इसी दिन को पहले मदरिंग संडे कहा जाता था। मदरिंग संडे फेस्टिवल, लितुगिर्कल कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता था। इसी को लेतारे कैकेंडर में संडे लेंट में चौते रविवार को वर्जिन मेरी और मदर चर्च को म्मानित करने के लिए मनाया जाता था।
कैसे करें तैयारी
- अपने दुख कभी नहीं बनाती हैं। वह अपने बच्चे को पहला अपने दूध पिलाती है। उसे फिर हाथ से खिलाती है। उसे फिर हाथ से खाना बनाकर खिलाती है। एक दिन बच्चा ही बड़ा होकर मां के हाथ से खाना छोड़ देता है। मां की हमेशा यही इच्छा होती है कि अपने हाथ से बच्चे को खाना बनाकर खिलाये। इस मदर्स डे उस मां की पंसदीदा डिश बनाकर उसे खिलाएं जो मां सारा जीवन हमें खिलाती आयी है।
- हर मां को अपने बेटे की इच्छा पता होती है। उसी मां के साथ रहकर लेकिन बेटा कभी उसकी इच्छा पता नहीं कर पाता। इस मदर्स डे मां की उस इच्छा को पूरे करें जो वो करना चाहती थी पर गृहस्थी के कारण नहीं कर पायी।
- मां का दिल कोई नहीं समझ सकता। वह एक ही पेट से सारे बच्चों को पैदा करती है। उन बच्चों को फिर बड़े होते आपस में झगड़े भी देखते है। उन्हीं बच्चों को फिर दूर-दूर जाता भी देखती है। इस मदर्स डे कोशिश करो की उसके सारे बच्चे उसकी आंखों के सामने रहकर दिन बिताएं।
- मां जिसने तुम्हें ऊंगली पकड़कर पढ़ना सिखाया। इस बार मां के लिए कुछ ऐसा तोहफा ले सकते हैं जो आधुनिक हो और जिसमें आसानी से पढ़ सके।
यह सब मदर्स डे पर नहीं बल्कि हर रोज मां के लिए करना चाहिए। हम अगर नहीं कर पा रहे हैं किसी कारण से तो करने का इरादा रखने चाहिए। मां की आंखे हमेशा अपने बच्चे को देखना चाहती हैं। आप अगर मां से दूर हैं तो फोन कॉल पर जरूर बात करें।
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