Madhepura News: इस अनोखे स्कूल के बारे में नहीं जानते होंगे आप! छात्रों को पढ़ाने के लिए मौजूद हैं अधिक टीचर, जानिए पूरी डिटेल

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Madhepura News: भारत के सरकारी स्कूलों में अधिकतर छात्रों के मुकाबले शिक्षकों का अनुपात काफी कम रहता है। फिर भी औसत 40 छात्रों पर 1 शिक्षक होता है, लेकिन एक ऐसा स्कूल भी है, जहां पर डेढ छात्रों के ऊपर 1 शिक्षक है। आपको बता दें कि ये स्कूल बीच बाजार में प्रोजेक्ट हाईस्कूल है। इसके बाद भी स्कूल में कई सालों से छात्र पढ़ने नहीं आ रहे हैं।

मधेपुरा जिले में एक अनोखा स्कूल

बिहार के मधेपुरा जिले में स्थित ये स्कूल में न तो छात्रों की संख्या को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। वहीं, ये स्कूल कोई मामूली जिले में नहीं, बल्कि बिहार के शिक्षामंत्री प्रो. चंद्रशेखर का अपना जिला है। इसके बाद भी शिक्षकों को खाली बैठना पढ़ता है। ऐसे में शिक्षकों को न तो किसी दूसरे स्कूल में शिफ्ट किया जाता है। ऐसे में वे आते हैं और खाली बैठकर चले जाते हैं।

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बिहार के मधेपुरा जिले में बालिकाओं की शिक्षा बढ़ाने के लिए हर प्रखंड में एक प्रोजेक्ट विद्यालय को खोलने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही प्रोजेक्ट विद्यालय के सभी शिक्षकों को वेतन भी दिया जाने लगा।

11 वीं और 12वीं में नहीं है एक भी छात्र

हाईस्कूल के प्रभारी ने बताया कि यहां पर 11 वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों का एक भी नामांकन नहीं है। वहीं, नवमी और दसवीं क्लास में एक-एक छात्र का नामाकंन है। इस स्कूल की स्थिति कई सालों से है। इसके अलावा जिले में एक अन्य हाईस्कूल भी है, जहां पर छात्रों की काफी अधिक संख्या है।

हाईस्कूल में 6 शिक्षक

बताया जा रहा है कि वर्तमान में स्कूल के अंदर 10 छात्रों का नामांकन है। इन सभी छात्रों को पढ़ाने के लिए इस हाईस्कूल में 6 शिक्षक हैं। बताया जा रहा है कि अक्सर ये छात्राएं स्कूल पढ़ने के लिए आती भी नहीं है, इसके साथ ही स्कूल में अन्य कामों के लिए 2 कर्मचारी भी मौजूद हैं।

स्कूल की हालत काफी खराब

प्रभारी ने बताया है कि स्कूल की इमारत का हाल काफी खराब है। इमारत के भूतल का कोई भी कमरा इस्तेमाल करने लायक नहीं है। वहीं, स्कूल भवन के दूसरे फ्लोर पर एक कमरा है और दूसरे कमरे में स्कूल का कार्य किया जाता है।इ इस स्कूल में छात्रों के न आने की एक बड़ी वजह है कि इस इमारत में एक भी जन सुविधा नहीं है। वहीं, स्कूल का कहना है कि इस बारे में संबंधित विभाग को कई बार पत्र लिखकर जानकारी दी गई। मगर इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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