Kota Student Suicide: राजस्थान के कोटा को IIT कोचिंग का हब माना जाता है। यहां पर छात्र अपने बड़े-बड़े सपनों के साथ आते हैं और अपने सपनों को पूरा करने में लग जाते हैं। कुछ छात्र अपने मुकाम को हासिल कर लेते हैं तो वहीं पढ़ाई का प्रेशर बहुत से छात्र झेल नहीं पाते। इसके कारण कुछ छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं तो वहीं कुछ छात्र इतने हताश हो जाते हैं कि वो आत्महत्या तक कर लेते हैं। खबरों की मानें तो चार सालों में 52 छात्रों ने आत्महत्या की है। अब यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में चार और मामले सामने आए हैं। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि अपने सपनों को पूरा करके आंखों में सैकड़ों सपने सजाकर आने वाले ये छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?
सागर में पढ़ रही छात्रा ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
सागर की एक छात्रा राशि जैन ने हाल ही में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वो तलवंडी इलाके के एक हॉस्टल में रहती थी। वह दो साल से कोटा में NEET की तैयारी कर रही थी। कहा जा रहा है कि छात्रा बीमार रहती थी जिसके कारण पढ़ाई नहीं कर पा रही थी और वो काफी ज्यादा मानसिक तनाव में रहती थी जिसके कारण उसने ये कदम उठाया। 7 मई को राशि जैन का NEET UG का एग्जाम था। बीमारी के कारण पढाई न कर पाने की वजह से एग्जाम को लेकर मानसिक तनाव में रहने के कारण उसने आत्महत्या कर ली। छात्रा का पोस्टमॉर्टम MBS हॉस्पिटल में कराया गया।
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हाल ही में 3 अन्य छात्रों ने की आत्महत्या
राजस्थान के कोटा में तीन छात्रों ने आत्महत्या कर ली। इन तीन छात्रों में से दो छात्र बिहार के रहने वाले थे तो वहीं एक छात्र मध्य प्रदेश का रहने वाला था। ये तीनों ही छात्र कोटा के एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पढ़ते थे। 19 और 18 वर्ष की उम्र के छात्रों की पहचान बिहार के अंकुश आनंद और उज्ज्वल कुमार के रूप में की गई। इन दोनों छात्रों की लाश उनके कमरे की छत से पंखे से लटकी हुई मिली तो वहीं तीसरे छात्र की पहचान मध्य प्रदेश के प्रणव वर्मा के रूप में की गई है। इस छात्र की उम्र महज 17 वर्ष थी। कहा जा रहा है कि प्रणव ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी। अंकुश आनंद और प्रणव वर्मा चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वहीं उज्ज्वल कुमार इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा था।
बढ़ रहा आत्महत्याओं का सिलसिला
देश भर से छात्र कोटा में इंजीनियर और डॉक्टर बनने के लिए नदी के तट पर बसे कोटा का रुख करते हैं। लोगों का मानना है कि डॉक्टर और इंजीनियर बनने का रास्ता कोटा होकर गुजरता है। इसीलिए देश भर से हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख छात्र अपने सपनों को पंख देने के लिए कोटा आते हैं। ऐसे में छात्रों पर पढाई का प्रेशर ज्यादा होने के कारण वे डिप्रेशन में चले जाते हैं और डिप्रेशन से उबर नहीं पाते। इनमें से बहुत से छात्र मौत को गले लगा लेते हैं। छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाएं लोगों को झकझोर रही हैं। साल 2018 से लेकर साल 2022 तक 53 छात्रों ने आत्महत्या की थी। साल 2023 में भी आत्महत्याओं के कई मामले सामने आ चुके हैं। इन बढ़ती आत्महत्याओं से कोचिंग इंडस्ट्री में उदासी का आलम है।
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