भारत के इन मंदिरों के दरवाजे क्यों बंद है, जबकि एक में मिला था 1 लाख 32 हजार करोड़ का सोना

History: भारत में कुछ इमारतों के दरवाजे सदियों से बंद है। उन्हें अब नहीं खोला जाता है। उनमें से एक कुतुबमिनार भी है जिसमें साल 1881 में एक हादसा हुआ था जिसमें 45 लोग मारे गये थे। उसी समय से यह दरवाजा बंद कर दिया गया था। इसका एक दरवाजा पहले ही से बंद था। इसके अलावा सबसे खूबशूरत इमारत ताजमहल के 22 दरवाजे बंद हैं जिन्हें खोलने के लिए 2022 में इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। इन कमरों को 1934 में आखिरी बार खोला गया था। इनके बंद होने पर कुछ इतिहासकारों का कहना है कि ताजमहल के बेसमेंट में जो मार्बल लगा है उसमें जब कॉर्बन डाई ऑकसाइड़ बढ़ती है तो कैल्शियम कार्बोनेंट में बदल सकती है जिस से इमारत को नुकसान हो सकता है। इनके अलावा भारत के तीन मंदिर है जिनके दरवाजे नहीं खोले जाते हैं।

कोंणार्क सूर्य मंदिर

रथ के आकार के इस मंदिर को राजा नरसिंहदेव ने बनवाया था। साल 1901 में कई आक्रमणों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण गवर्नर जनरल वुडबर्न ने जगमोहन मंडप के चारों तरफ दिवारें बनवा दी और इसे रेत से भर दिया। यह ऐतिहासिक इमारत ताकी सही सलामत रहे। इस काम में तीन साल लगे थे।

दिगंबर जैन मंदिर

अतिश्य छेत्र बरासों में स्थित इस मंदिर का दरवाजा करीब 800 साल से बंद था। इस कमरे को जब 2019 में खोला गया तो कमरे के नीचे एक और कमरा निकला था। इसके अंदर से बहुत ही प्राचीन समय की कुछ चीजें मिली थीं। इसके अंदर एक गुफा भी मिली थी।

पद्मनाभस्वामी मंदिर

तिरुवनंतपुरम का यह मंदिर भगवान विष्णु के लिए है। इसे कभी त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। इस मंदिर के दरवाजे भी बहुत सालों से बंद थे। इस मंदिर के 6 दरवाजों को जब खोला गया तो उसमें से करीब 1 लांख 32 हजार करोड़ का सोना मिला था। उसका एक सातवां दरवाजा अभी बंद है जिसे कुछ कारणों से अभी भी नहीं खोला गया है।

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