General Knowledge: दुनियाभर में कई ऐसी दर्दनाक घटनाएं हुई हैं जो ऐतिहासिक हैं जिन्हें सोचकर भी रूह कांप जाती है। रोंगटे खड़े हो जाते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध भी कुछ ऐसा ही जिसके दौरान लाखों लोगों की दर्दनाक मौतें हुई। ऐसी ही एक घटना दुनिया में एक ऐसी रेलवे लाइन के बनाने को लेकर घटी, जिसमें करीब 1 लाख 20 हजार लोगों की जान चली गई। आजकल तो आधुनिक मशीनों और उच्च तकनीकों की सहायता से सैकड़ों किमी का रेलवे ट्रैक कुछ ही महीनों में तैयार हो जाता है। चाहे कितनी ही दुर्गम इलाका क्यों न हो। लेकिन आज से 50 साल पहले यह तकनीकी सुविधाएं नहीं थीं। तब बड़े शक्तिशाली देशों की क्षमता जवाब दे जाती थी। हजारों लोग काले के गाल में समा जाते थे। ऐसी ही एक रेलवे परियोजना के बारे में आज हम आपको बताएंगे।
म्यांमार-थाईलैंड डेथ रेलवे
यह द्वितीय विश्वयुद्ध की घटना है जब जापान ने थाईलैंड ने म्यांमार को जोड़ने के लिए 1942 में रेलवे लाइन बनाने का फैसला लिया। 415 किमी लंबी इस रेल ट्रैक को डैथ रेलवे के नाम से जाना जाता है। जिसकी एक खूनी दास्तान है। जब जापान का सिंगापुर से लेकर वर्मा तक कब्जा हो गया था। इसके बाद उसकी हिंद महासागर,बंगाल की खाड़ी को जमीनी तौर पर अपने जहाजों से जोड़ने की योजना थी। लेकिन बैंकाक से हुआ हिन और दक्षिण तक एक रेल लाइन पहले से थी। इसके साथ जापान ने बैंकाक के पश्चिम से वर्मा के उत्तर तक भी एक और ट्रैक बनाने की योजना बनाई। इसे बनाने में 15 महीने लग गए। इसे बनाते-बनाते 1 लाख 20 हजार लोगों की जान चली गई।
इन लोगों की गई जानें
415 किमी लंबी इस लाइन को बनाने के लिए जापान ने थाइलैंड,सिंगापुर,इंडोनेशिया,मलेशिया तथा वर्मा के कुल 1लाख 80 हजार लोगों को काम पर लगाया। इसके साथ अपने मित्र देशों के 60 हजार से ज्यादा कैदियों को भी इसके निर्माण में लगा दिया। जापानी सेना की क्रूरता इतनी कि हैजा, मलेरिया और भुखमरी के कारण ही करीब 90 हजार लोगों ने जान गंवा दी। जबकि कई लोगों की जान शत्रु देशों की सेना की बमबारी में चली गई। लेकिन जापानी सेना ने 15 महीने में इस रेलवे ट्रेक को बनाकर तैयार कर लिया।
इसे भी पढ़ेंः UP Sanskrit Board Result 2023 में 12वीं के मुस्लिम छात्र इरफान ने किया टॉप, 13,738 छात्रों को छोड़ा पीछे
एजुकेशन की तमाम खबरों के लिए हमारे YouTube Channel ‘DNP EDUCATION’ को अभी subscribe करें।