जानें कौन थे भारत के पहले IAS Officer, 1922 से पहले कहां होती थी परीक्षा और कैसा था सिलेबस?

First IAS Officer of India

First IAS Officer of India

First IAS Officer of India: IAS अफसर के पद की तैयारी करने के लिए लोग एड़ी से चोटी तक का जोर लगा देते हैं। इस नौकरी को पा लेने के बेद इस पद पर तैनात व्यक्ति का एक अलग ही रुतबा होता है। वहीं आज भी बहुत से लोग ये नहीं जानते होंगे कि भारत के पहले आईएएस ऑफिसर कौन थे और उन्होंने कितनी मुश्किलों का सामना करते हुए इस पद को हासिल किया था? आज इस आर्टिकल में हम आपको देश के पहले आईएएस अधिकारी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए सिलेबस को पास कर यह पद हासिल किया था।

कौन थे देश के पहले IAS Officer?

बता दें कि देश के पहले IAS अधिकारी सत्येंद्रनाथ टैगोर थे। सत्येंद्र नाथ टैगोर महान उपान्यासकार, नाटककार, दार्शनिक, चित्रकार और कवि रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई थे। रबिंद्रनाथ टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। देश के पहले IAS अधिकारी सत्येंद्रनाथ टैगोर का जन्म 1 जून 1842 को हुआ था। वे कोलकाता के जोरासांको के टैगोर परिवार में जन्मे थे। उनके पिता का नाम महर्षि देबेंद्र नाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। उनकी पत्नी का नाम ज्ञानदानंदिनी देवी था। सत्येंद्र नाथ टैगोर की दो संतान थीं। इनके बेटे का नाम सुरेंद्रनाथ टैगोर था और उनकी बेटी का नाम इंदिरा देवी था।

1864 में भारतीय सिविल सेवा में हुए शामिल

बता दें कि सत्येंद्रनाथ टैगोर प्रसीडेंसी कॉलेज के छात्र थे। साल 1864 में वे सेवा में शामिल हुए। सत्येंद्रनाथ टैगोर पश्चिम बंगाल के कोलकाता के रहने वाले थे। वे एक बंगाली सिविल सेवक होने के साथ ही लेखक, संगीतकार, समाज सुधारक, कवि, भाषाविद और ब्रह्मो समाज के सदस्य थे।

इसे भी पढ़ेंः RBSE Result 2023: आज जारी हो सकते हैं 8वीं कक्षा के नतीजे, इस तरह देख सकते हैं अपना रिजल्ट

कब हुई शुरुआत?

भारत में साल 1854 में सिविल सेवा परीक्षा का शुरुआत हुई। उस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज चलता था। तब ईस्ट इंडिया कंपनी के डायरेक्टर्स द्वारा IAS अधिकारियों को नामित किया जाता था और उन्हें लंदन के हेलीबेरी कॉलेज में ट्रेनिंग दी जाती थी। कुछ समय बाद इस प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे। इसके बाद ब्रिटिश संसद की चुनी गई कमेटी ने एक रिपोर्ट पेश की गई जिसमें सेलेक्शन के लिए मेरिट बेस एग्जाम कराने की सिफारिश की गई। साल 1854 में लंदन में सिविल सर्विस कमीशन का गठने किया गया और इसके अगले साल यानी साल 1855 में परीक्षा की शुरुआत हो गई। उस समय IAS बने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 23 वर्ष रखी गई थी।

भारतीयों को फेल करने के लिए बनाया गया अलग सिलेबस

भारतीयों को फेल करने के लिए अलग सिलेबस तैयार किया गया। अंग्रेज नहीं जानते थे कि भारतीय इस परीक्षा को पास करें जिसके कारण उसमें यूरोपीय प्रश्न अधिक रखे गए। हालांकि अंग्रेजों की यह चाल ज्यादा समय तक नहीं चल सकी। साल 1864 में पहली बार सत्येंद्र नाथ टैगोर ने इस परीक्षा को पास किया। इसके 3 साल बाद ही एक साथ 4 भारतीयों ने यह परीक्षा पास की। पहले के समय में यह परीक्षा भारत में नहीं होती थी। भारतीयों द्वारा लगातार प्रयास और याचिकाओं के बाद भारत में सिविल सेवा परीक्षा होने लगीं। साल 1922 में यानी प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारत में परीक्षा होनी शुरू हुई।

इसे भी पढ़ेंः TOP Mechanical Institutes of India:12वीं बाद मेकेनिकल इंजीनियरिंग में चाहते हैं अपना कैरियर,देखें टॉप संस्थानों की सूची

एजुकेशन की तमाम खबरों के लिए हमारे  YouTube Channel ‘DNP EDUCATION’ को अभी subscribe करें

Exit mobile version