Digital Detox: भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां सायरन बजते ही बंद हो जाते हैं, मोबाइल फोन, टी.वी, लैपटॉप!

Digital Detox: इस दुनिया ने साल 2000 के बाद से जितनी तरक्की की है और नई-नई चीजें ईजाद की हैं। ऐसा हजारों साल में नहीं हुआ था। इस तकनीक ने इंसानों की दुनिया को ही बदल कर दिया है। इंसान अब चाहे किसी के साथ हो या अकेला उसे बहुत ही कम फर्क पड़ता है। उसकी जेब में मोबाईल और टेबल पर लैपटॉप हो तो वो उसी में सारा दिन निकाल देता है। इसमें उसकी गलती भी नहीं है। दुनिया की अमीर से अमीर कंपनी पिछले बीस साल से इसी खोज में लगी है कि दुनिया के जादा से जादा आदमियों कै कैसे इंगेज किया जाये। दुनिया की हर बड़ी कंपनी इसी जुगत में लगी है कि किस तरह से दुनिया का हर आदमी उनकी वेबसाइट पर उनकी कंपनी को सोते हुए या जागते हुए, किसी भी हाल में फॉलो करे और उन्हें फायदा पहुंचाए। इंटरनेट के इस महाजाल से आज बड़े तो बड़े बच्चे भी अछूते नहीं है। एक गांव भारत में ही मगर ऐसा भी है जिसका हर नागरिक एक सायरन की आवाज पर ही फोन बंद कर देता है।

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सायरन बजते ही बंद करना होता है डिजिटल डिवाइस

महाराष्ट्र में सांगली जिले के मोहितयांचे वडडागांव है जहां आप मोबाइल फोन, लैपटॉप या टी.वी का इस्तेमाल सिर्फ सूरज छिपने तक ही कर सकते हैं। सात बजे के बाद क्योंकि एक सायरन बज उठता है। इस सायरन का मतलब होता है कि सारे के सारे इलेक्ट्रिक डिवाइस बंद कर दीजिए। यह भारत में कोई क़ानून नहीं है। उस गांव के लोगों ने सबकी सहमित से इस नियम को गांव में रहने वाले हर आदमी के लिए बनाया है। गांव में रहने वाला हर आदमी भी सर्वसम्मित से नियम को मानता है।

इस सायरन के बजते ही गांव का हर आदमी डेढ़ घंटे के लिए अपने सारे इलेक्ट्रिक डिवाइस बंद कर देता है। गांव के कुछ लोग घर-घर जाकर इसकी चैकिंग भी करते हैं।

डिजिटल डिटॉक्स क्या होता है?

डिजिटल डिटॉक्स का मतलब होता है कि कुछ देर के लिए लोग किसी भी इलेक्ट्रिक डिवाइस से दूरी बना लेते हैं। इसमें कोई भी डिवाइस का इस्तेमाल नहीं करता है। यह प्रकिया किसी क़ानून के तहत नहीं आता है लेकिन अगर कुछ निजि संस्थान चाहें तो अपने यहां रहने वाले लोगों से ऐसी अपील कर सकते हैं। या किसी घर का कोई मुखिया चाहे तो अपने घर के ऐसे नियम बना सकता है।

यह आईडिया भी मोहितयांचे वडडागांव के मुखिया विजय मोहिते को ही आया था। उनके मुताबिक गांव के लोगों को लॉकडाउन के समय में इलेकट्रानिक गैजेटस की लत लग गई थी। लॉक़ाऊन ख़त्म होने के बाद भी लोगों की यह लत जा नहीं रही थी। गांव के लोगों को फिर से वापस रोजमर्रा के जीवन में वापस लाने के लिए गांव में डिजिटल डिटॉक्स की प्रक्रिया को शुरू किया गया। इसमें एक सायरन बजता है और लोगों को अपने डिवाइस बंद करना होता है।

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