CJI Worry on Students Suicide: चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ शनिवार को नेशनल अकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) में दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। जहां उन्होंने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए छात्रों की कथित आत्महत्याओं की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा हूं कि हमारे संस्थान कहां पर गलत हो रहे हैं? ऐसा क्यों हो रहा है कि होनहार छात्र अपनी जिंदगी को खत्म करने को मजबूर हो रहे हैं। इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने हाल ही में हुई आईआईटी बॉम्बे की घटना का जिक्र किया। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में एक दलित छात्र की कथित आत्महत्या की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हाशिए के समुदायों के पीड़ितों को शामिल करने वाली ऐसी घटनाएं आज के समय में काफी ज्यादा देखने को मिल रही हैं और अब ये आम हो गई हैं। उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि पीड़ितों के परिजनों के प्रति उनकी संवेदनाएं हैं।
Also Read: BPSC Update: अब बार-बार नहीं देनी होगी पीटी परीक्षा, बिहार लोक सेवा आयोग में हुए नए बदलाव
क्यों मजबूर हो रहे छात्र
उन्होंने यह भी कहा कि मैं सोच रहा हूं कि हमारे संस्थान कहां गलत हैं जो छात्र अपनी जिंदगी तक खत्म करने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसी क्या वजह है जो छात्र अपनी बहुमूल्य जिंदगी के बारे में इतना बड़ा फैसला ले रहे हैं। छात्रों की कथित आत्महत्याओं की घटनाएं आम होती जा रही हैं। उन्होंने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और यह कोई आंकड़ा नहीं बल्कि ये कभी-कभी सदियों के संघर्ष की कहानियां होती हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर हम इस मुद्दे को संबोधित करना चाहते हैं तो हमारा पहला कदम यह होना चाहिए कि हम इस समस्या को स्वींकार करें और इसे पहचाने।
छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य है जरूरी
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों की तरह ही छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है। हम वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य पर जोर देते रहते हैं। उनका कहना है कि पाठ्यक्रम को न केवल छात्रों में करुणा की भावना पैदा करनी चाहिए बल्कि अकादमिक नेताओं को भी उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भेदभाव का मुद्दा सीधे शिक्षण संस्थानों में सहानुभूति की कमी से जुड़ा हुआ है।
एजुकेशन की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP EDUCATION’ को अभी subscribe करें।