Aeroplane Tyres: गाड़ियों के टायर में अक्सर अपने लोगों को हवा भरवाते हुए या पंचर लगाते हुए देखा होगा। उस समय यह दिखाई देता है कि इस टायर में ट्यूब है या नहीं । आज के समय में टेक्नोलॉजी इतना आगे बढ़ गई है कि बिना ट्यूब के भी टायर गाड़ियों में दिखाई देने लगे हैं। बिना ट्यूब के इस टायर को ट्यूबलैस टायर कहते हैं। लेकिन क्या कभी आपने जहाज के टायर को देखा है या फिर कभी सोचा है कि जगह में ट्यूब वाले टायर प्रयोग किए जाते हैं या फिर बिना ट्यूब वाले । क्या हमारी गाड़ियों की तरह इन टायर में भी हवा कम और ज्यादा होती है। अगर यह सभी सवाल आप सभी के दिमाग में चल रहा है तो आइए आज हम आपको इसके बारे में जवाब देते हैं।
आखिर जहाज में टायर की क्या है जरूरत ?
हमारे गाड़ियों की तरह ही हवाई जहाज में भी टायर लगे हुए होते हैं। वहीं अगर सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो जहाज के लिए टायर बहुत जरूरी है। जब भी जहाज लैंडिंग करती है तो इन्हीं चक्कों के दम पर झटकों को रोकने में मदद करती है। वहीं यह चक्के ही विमान के ब्रेक लगाने साथ ही घर्षण भी प्रदान करते हैं। जहाज में लगने वाले टायर को इस तरह से बनाया जाता है कि यह टेक ऑफ, लैंडिंग, और पार्किंग के समय पूरा भार अपने ऊपर ले सके। विमान जितना वजन होता है उस हिसाब से इन पहियों को बनाया जाता है जो बढ़ या घट सकते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसके वजन को एक समान रूप से बांटने की जरूरत होती है।
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कौन से प्लेन में कितने टायर होते हैं ?
एविएशन हंट डॉट कॉम वेबसाइट की मानें तो बोइंग प्लेन 737NG और 737MAX में 6 पहिए लगाए जाते हैं। वहीं बोइंग 787 में 10 चक्के होते हैं। इसके साथ ही बोइंग 777 में 14 पहिए और एयरबस A 380 में सबसे ज्यादा 22 चक्के होते हैं। यह चक्के 340 टन तक का वजन सहन कर सकते हैं। वहीं टेक ऑफ करते समय 250 किमी प्रति घंटा की अधिक गति को सह सकते हैं। इसके टायर में एल्युमीनियम और स्टील को मिस्क करके बनाया जाता है इसके साथ ही 6 गुना ज्यादा हवा भरी जाती है। इसलिए यह नहीं फटता है।
क्या ट्यूबलेस होता है प्लेन का टायर
एविएशन हंट डॉट कॉम वेबसाइट की मानें तो विमान में जरूरत के हिसाब से दोनों ही तरह के टायर का प्रयोग किया जाता है। वहीं बताया जाता है कि ट्यूब वाले टायर की तुलना में ट्यूबलेस टायर ज्यादा अच्छे होते हैं। वहीं आज के समय की बात करें तो ट्यूब वाले टायर का प्रयोग बंद हो गया है। आज के समय में ज्यादातर विमान ट्यूबलैस टायर का ही प्रयोग करते हैं। वहीं इसमें नॉर्मल गैस की जगह नाइट्रोजन गैस भरी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि नॉर्मल गैस की तुलना में नाइट्रोजन गैस सुखी और कम भार वाली होती है।
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