Airplane Turbulence: हवाई यात्रा को लेकर सफर हमेशा से जटिल रहा है। यह सफर क्योंकि जल थल दोनों से ज्यादा जोखिम भरा होता है। आप पानी में है, या जमीन पर है कि बार को गलती है करते हैं या कोई हादसा होता है तो बचने की संभावना बनी रहती है। इस सफर में एक बार दुर्घटना हुई फिर बचने की कोई संभावना नहीं रहती है। इसीलिए इसे सबसे ज्यादा जोखिम भरा सफर माना जाता है।
टर्ब्युलेन्स क्यों होता है?
यह शब्द बहुत कम लोगों ने सुना होगा। इस शब्द का इस्तेमाल जहाज में सफर के दौरान खराब मौसम में होता है। इसे आसान भाषा में समझें यह हवा कि तेज गति होती है जो अधिकतर खराब मौसम, आसमानी चक्रवात, तेज हवाओं, तूफान और बारिश की वजह से होता है। इस कारण से हवाई यात्रा में बाधा उत्पन्न हो जाती है।
वातावरण में हवा हमेशा गति में रहती है। एक जहाज को उड़ान भरने के लिए पंखों के ऊपर और नीचे से गुजरने वाले वायु प्रवाह का नियमित होना जरूरी है। खराब मौसम जब हवा के प्रवाह को बिगाड़ देता है तो एयर पॉकेट्स बन जाते हैं। इसी कारम टर्ब्युलेंन्स का निर्माण होता है।
आसमान में हवा भी एक समान नहीं रहती है। वैक्यूम एरिया होता है तो कहीं चक्रवात जैसे हालात बन जाते है. इस कारण से हवाई जहाज़ में यात्रा के दौरान झटके लगते हैं.जिसे ‘टर्ब्युलेन्स’ कहा जाता हैं.
हवाई यात्रा में इन टर्ब्युलेन्स का करना पड़ सकता है सामना
Light turbulence- यह बहुत ही हल्का फुल्का होता है, इसमें यात्री सीट बेल्ट पर हल्का सा खिंचाव महसूस करता है बस।
Moderate turbulence- यह थोड़ा सा तेज होता है हालांकि इसमें भी जहाज को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। यात्रियों पर भी बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता ह।
Severe turbulence- यह ऊंचाई में आये अचानक बदलाव की वज़ह से होता है। इसमे कुछ देर के लिए नियंत्रण खो सकता है।
Extreme turbulence- यह सबसे खतरनाक होता है। इसमें जहाज उछल जाता है। इसमें जहाज को नियंत्रित करना असंभव हो जाता है।
Chop- यह तेजी से और कुछ हद तक बैलेंस बिगड़ जाने के कारण होता है।
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