Gangster Act: अभी कुछ दिनों के पहले उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी पर गैंगेस्टर एक्ट लगाया गया है। इसके पहले अतीक अहमद, लॉरेंस विश्नोई, समेत कई ऐसे माफिया हुए जिन पर यह एक्ट लगाया गया। आपने भी अक्सर सोशल मीडिया के माध्यम से या कानून के जानकार लोगों के माध्यम से यह सुना होगा कि किसी अपराधी को अदालत में गैंगेस्टर एक्ट की सजा सुनाई गई है। आखिर यह गैंगेस्टर एक्ट होता क्या है। गैंगेस्टर एक्ट कब लगाया जाता है वहीं जिस व्यक्ति पर यह एक्ट लगाई जाती है उसे क्या सजा सुनाई जाती है। ऐसे में आइए आज हम इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देते हैं।
गैंगेस्टर कौन होता है ?
गैंगेस्टर एक्ट के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना जरुरी है कि आखिर गैंगेस्टर कौन होता है और गैंगेस्टर किसे कहते हैं। तो इसके बारे में बता दें कि गैंगेस्टर अपराधियों के एक समूह होता है। इसमें एक से अधिक अपराधियों का गिरोह होता है। यह लोग अपराध के जरिए अनुचित तरीके से लाभ कामना चाहते हैं। इसके साथ -साथ कई बार यह लोग गलत तरीके से लाभ कमाने के चक्कर में लोगों की जान तक ले लेते हैं। ऐसे लोगों को गैंगेस्टर की श्रेणी में रखा गया है। वहीं इन गैंगेस्टरों का एक मुखिया होता है जो सभी तरह की घटनाओं को अंजाम देने का काम करता है। यह मुखिया किसी भी तरह की घटना को कब कैसे अंजाम देना है इसके बारे में एक प्लान बनाता है और उसे अपने गैंगेस्टर के द्वारा अंजाम दिलवाता है।
1986 में पारित हुआ था गैंगेस्टर एक्ट
गैंगेस्टर एक्ट को साल 1986 में पारित किया गया था। यह ऐसे मामलों को लेकर पारित किया गया था जब अपराधियों का समूह किसी जघन्य अपराध को अंजाम देते थे। इन जघन्य अपराध में हत्या, लूट, डकैती, रेप जैसी चीजें शामिल हैं। वहीं एक गैंगेस्टर पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए रहते हैं। कई बार इसको लेकर अदालत में यह पूछा गया है कि आखिर वह इस तरह की घटना को अंजाम क्यों देते हैं तो उन्होंने बताया कि अपनी आजीविका चलाने के लिए वह ऐसे कामों को अंजाम देते हैं। वहीं कुछ लोग अपना नाम करने साथ ही आपसी रंजिश के नाते भी कई लोगों की हत्या कर देते हैं। इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके इसके लिए ही गैंगेस्टर एक्ट को बनाया गया था।
पुलिस कब घोषित करती है गैंगेस्टर
पुलिस किसी भी व्यक्ति को खुद से गैंगेस्टर घोषित नहीं कर सकती है। इसके लिए भी पुलिस को कई तरह की प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। पुलिस की मानें तो सबसे पहले उस व्यक्ति का आपराधिक रिकॉर्ड होना चाहिए। यह आपराधिक रिकॉर्ड बड़े ही जघन्य तरीके के होने चाहिए। जैसे – किसी की निर्मम हत्या, किसी का रेप इत्यादि तरीके के केस होने चाहिए। इसके साथ ही वह अपराधी जिस जिले या जिस थाने का है उसे वहां की पुलिस के द्वारा एक चार्ट तैयार करना होता है। इस चार्ट में अपराधी की पूरी डिटेल होती है। इसके बाद पुलिस को यह पता करना होता है कि यह अपराधी किस ग्रुप का है।
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डीएम के द्वारा होता है गैंगेस्टर का निर्धारण
थाना प्रभारी के द्वारा बनाए गए चार्ट को फिल्ड ऑफिसर को दिया जाता है। यह फिल्ड ऑफिसर इस चार्ट को जिले के पुलिस अधीक्षक को देते हैं। पुलिस अधीक्षक के द्वारा जांच करके यह चार्ट जिले के डीएम को दिया जाता है। वहीं जिला अधिकारी के द्वारा इसके बारे में सही तरीके से जांच किया जाता है और वह कई बार अपराधी के घर तक जाकर निरीक्षण करता है। अगर डीएम जांच में यह पाता है कि यह व्यक्ति आपराधिक प्रवित्ति का है और लगातार आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा है तो डीएम उस व्यक्ति पर गैंगेस्टर एक्ट लगाने की परमिशन दे देता है।
गैंगेस्टर एक्ट में कितने साल की होती है सजा
1986 में इस एक्ट के आने के बाद साल 2015 में इसमें संसोधन किया गया। इसके साथ ही इस एक्ट को और भी सख्त बनाया गया। वहीं गैंगेस्टर एक्ट में दोषी पाए जाने वाले अपराधी पर कम से कम 2 साल की सजा इसके साथ ही अधिकतम 10 साल तक की सजा हो सकती है। वहीं नए संसोधन में इसमें 15 तरह के अपराधों को शामिल किया गया है।
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