Token Exchange System: भारतीय रेलवे पिछले कुछ सालों से तेजी से आगे बढ़ रहा है। रेलवे की इस उपलब्धि की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं। प्रतिदिन भारतीय रेलवे आधुनिकता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, आज भी अंग्रेजों के जमाने की तकनीकों का इस्तेमाल Indian Railways में किया जाता है। आप सभी में से बहुत ऐसे लोग होंगे जो टोकन एक्सचेंज सिस्टम के बारे में जानकारी रखते होंगे। कुछ ऐसे भी लोग होंगे जिन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं होगी। लेकिन, इतना तो है कि बहुत ऐसे लोग होंगे जो टोकन एक लोहे का छल्ला को स्टेशन मास्टर, लोको पायलट को देते हुए देखे होंगे। आइए जानते हैं इसे विस्तार से-
देश के कई हिस्सों में आज भी चलता है टोकन एक्सचेंज सिस्टम
अंग्रेजों के जमाने की तकनीकों में से एक टोकन एक्सचेंज सिस्टम धीरे-धीरे खत्म होने वाली है। लेकिन, रेलवे में देश के कई हिस्सों में इसका आज भी इस्तेमाल किया जाता है। मालूम हो कि ट्रेन के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए अंग्रेजों के जमाने में Token Exchange System तकनीक को तैयार किया गया था। ये आप जानते ही होंगे कि आधुनिक तकनीक ने पूरे विश्व को एक पटल पर ला खड़ा किया है। विज्ञान और तकनीकी ने आज सारी दुनिया में अपने पैर पसार रखें है। भारत में भी Technology ने हर क्षेत्र में अपनी धाक जमा रखी है। रेलवे में आज हम जो देखते हैं जिस ट्रैक सर्किट (Track Circuits) को वो पहले जमाने में नहीं हुआ करते थे। इस लिए खासकरके तब टोकन एक्सचेंज सिस्टम के माध्यम से ही अपने गंतव्य तक ट्रेन सही सलामत पहुंचती थी।
ऐसे काम करता है टोकन एक्सचेंज सिस्टम
ये जानकर आपको आश्चर्य होगा कि पहले जमाने में रेलवे में टोकन एक्सचेंज सिस्टम इतना सुरक्षित तकनीक था कि सिर्फ सिंगल और छोटे ट्रैक पर दोनों ओर से आने वाली Trains को एक दूसरे से टकराने से बचाती थी। बता दें कि एक लोहे का छल्ला जिसे रेलवे में टोकन कहा जाता है। जिसे Station Master, Loco Pilot को सौंप देता है। लोको पायलट को यह टोकन मिलने से यह स्पष्ट होता है कि अगले स्टेशन तक लाइन क्लियर है और आप अपने गंतव्य की ओर बढ़ सकते हैं। आगे चलकर लोको पायलट अगले स्टेशन पर इस Token को जमा कर देता है और वहां से दूसरा टोकन लेकर सफर में आगे बढ़ता है।
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