Army Dogs Recruitment and Training: आपने भारतीय सेना के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप सेना के साथ रहने वाले डॉग्स के बारे में जानते हैं। तो इस आर्टिकल में हम बताने वाले हैं कि कैसे इन डॉग्स की सेना में भर्ती की जाती है और किस तरह से इन्हें ट्रेन किया जाता है। चलिए इनकी डॉग्स की सभी डीटेल्स हम आपको देते हैं।
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जानें किस नस्ल के कुत्ते होते हैं शामिल और कितने समय तक करते हैं सेवा
भारतीय सेना में शामिल होने वाले कुत्ते लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंस और ग्रेट माउंटेन स्विस नस्ल के होते हैं। सेना में शामिल होने के बाद और सेवानिवृत्त होने तक ये कुत्ते करीब आठ साल तक देते हैं। इसके अलावा आर्मी इन कुत्तों के सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित भी करती है।
क्या काम करते हैं सेना में शामिल किए गए कुत्ते
सेना में शामिल हुए ये कुत्ते कई तरह की ड्यूटीज़ करते हैं, जिसमें इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (IED) जैसे विस्फोटकों को सूंघना और इनका पता लगाना, खाने का पता लगाना, पेट्रोलिंग, गार्ड ड्यूटी, ड्रग्स और कई प्रतिबंधित जैसी वस्तुओं को सूंघना के अलावा हिमस्खलन के मलबे का पता लगाने, संभावित लक्ष्यों पर हमला करना, छिपे हुए भगोड़ों और आतंकवादियों की तलाश करने के लिए किया जाता है।
कौन करता है इन्हे हेंडल?
सेना में शामिल हर कुत्ते की जिम्मेदारी एक डॉग हैंडलर की होती है और ये इन कुत्तों के खाने-पीने से लेकर साफ-सफाई तक का ध्यान रखते हैं। इसके अलावा इनकी ड्यूटी के समय इन्हें हैंडल करन की जिम्मेदारी डॉग्स हैंडलर की ही होती है।
यहां किए जाते हैं ट्रेन
सेना में शामिल कुत्तों की ट्रेनिंग मेरठ स्थित रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर सेंटर और स्कूल में होती है। साल 1960 में यहां डॉग्स की ट्रेनिंग के लिए एक स्कूल खोला गया था। सेना में शामिल होने से पहले कुत्तों की नस्ल व योग्यता के अनुसार उन्हें शामिल किए जाने से पहले ही अलग-अलग स्किल्स के साथ इन्हें ट्रेन किया जाता है।
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