Department of Hindi and Modern Indian Languages: आज दिंनाक 19.08.2023 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में प्री॰ पीएच॰डी॰ कोर्स वर्क की सत्रारंभ कक्षाएँ विधिवत रूप से संगोष्ठी कक्ष में आयोजित की गई। इस अवसर पर प्रो॰ एम॰पी॰ शर्मा, सेवानिवृत अध्यक्ष, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली एवं प्रो॰ कुमुद शर्मा, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली एवं उपाध्यक्ष, साहित्य अकादेमी, दिल्ली के व्यक्तव्यों से आरम्भ हुई। संयोजक प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग रहे। प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने विभाग में अतिथियों का स्वागत किया और विद्यार्थियों को शोध प्रविधि के अनुसार शोध कार्य करने के लिए विधिवत अध्ययन एवं शोध प्रविधि विधि के अनुसार कार्य करने के लिए कहा।
प्री॰ पीएच॰डी॰ कोर्स वर्क की सत्रारंभ कक्षाएँ विधिवत रूप से आयोजित
शोध प्रविधि और प्रक्रिया पर विद्यार्थियों से वार्ता करते हुए प्रो॰ एम॰पी॰ शर्मा ने कहा कि पीएच॰ डी॰ ज्ञान विचार की परिपक्वता के साथ रोजगार से जुड़ी उपाधि भी है। विस्तृत ज्ञान क्षेत्र में यह उपाधि एक दिशा देती है और उस दिशा को परिपक्व बनाती है। इसलिए शोध कार्य गम्भीर वैचारिक कार्य है। अन्तर्विरोध किसी लेखक की आलोचना और लेखन शैली की कमी नहीं है, बल्कि शोध के द्वारा हम इन्हीं अन्तर्विरोधों के कारणों को खोजते हैं। शोध कार्य केवल पुस्तकालय तक सीमित नहीं है, बल्कि तथ्य तक पहुँचना है।
प्रो॰ कुमुद शर्मा ने कहा कि हिंदी साहित्य ऐसा विषय है, जिससे समाज से संबंधित प्रत्येक विषय चाहे सामाजिक, आर्थिक और मनोविज्ञान हो सभी शामिल हैं। शोध से तात्पर्य है बार-बार खोज करना। शोध, उत्तर शोध कार्य और समकालीन विषयों से संवाद करना है। साहित्य संवाद की निरंतरता में लिखा जाता है। शोध, भूत, वर्तमान और भविष्य से जुड़ा होता है। शोध राष्ट्र की समुन्नति के संदर्भ में होना चाहिए।
प्रमुख लोगों ने की शिरकत
शोध एक प्रक्रिया है, जो श्रमसाध्य है। शोध ऐसी जमीन है, जो आप संपूर्ण जीवन फल पाऐंगे। शोध में बौद्धिक ईमानदारी की बहुत आवश्यकता है। मौलिक अर्थ के लिए साहित्य के मूल पाठ से पाठक को टकराना पड़ता है। नई शिक्षा नीति में भी गुणवत्ता पूर्ण शोध और समाज सापेक्ष शोध पर जोर दिया गया है। शोध का उपयोगी होना जरूरी है। कालजयी कृतियाँ समय के साथ यात्रा करती हैं। युगबोध को साहित्यकार पकड़ता है। शोधार्थी को भी युगबोध को पकड़कर शोध करना चाहिए।
कक्षा में प्रो॰ आभा शर्मा, विभाग के शिक्षक, शोधार्थी एवं प्री॰ पीएच॰ के विद्यार्थी शामिल रहे।
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