देश में शिक्षा व्यवस्था की सुधार के लिए सरकार नए – नए नियम बना रही है। सरकार अब देश में चल रहे यूनिवर्सिटीज, कॉलेज और अन्य शैक्षिक संस्थानों को उनके प्रदर्शन के अनुसार रैकिंग देने जा रही है। जो निश्चित तौर पर स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स को सही संस्थान चुनने में मदद करेगा। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि एनआईआरएफ रैंकिंग क्या है? अगर सरकार देश के टॉप शिक्षण संस्थानों की लिस्ट जारी करेगी तो यह कैसे तय होगा कि किस यूनिवर्सिटी या कॉलेज को कौन सी रैंक मिलेगी? आपके इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए शिक्षा मंत्रालय के द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी किया है और एनआईआरएफ रैंकिंग से जुडी चीजों की जानकारी दी है।
शिक्षा मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए यह भी बताया है कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क इस बार एक नई कैटेगरी को जोड़नें जा रही है , जिसका नाम है एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेक्टर। आइये आज जानतें है कि क्या होती है NIRF रैंकिंग, कैसे और कब से हुई थी इसकी शुरुआत। इसके साथ हम जानेंगे की किसी संस्था को रैंकिंग कैंसे दिया जाता है।
क्या है NIRF रैंकिंग
विश्व भर में बहुत से स्कूल और कॉलेज चल रहें हैं , इन्हीं स्कूल और कॉलेज की रैंकिंग तय करने के लिए एक मानक तैयार किया गया है। जिससे यह पता चल सके की कौन सा स्कूल किस लेबल पर काम कर रहा है और उसकी रैंकिंग क्या है इसे ही हम राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क कहतें हैं । इसकी शुरुआत साल 2015 में हुई थी। इस पैरामीटर के द्वारा देशभर की यूनिवर्सिटीज, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षिक गुणवत्ता को तय किया जाता है।
पैरामीटर तय करने का तरीका
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क के द्वारा किसी भी संस्था की रैंकिंग पांच तरह से की जाती है। इनमें टीचिंग एंड लर्निंग,पर्सेप्शन, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, आउटरीच एंड इंक्लुसीवीटी, ग्रेजुएशन आउटकम के आधार पर संस्थानों को पहले, दूसरे नंबर का दर्जा दिया जाता है। संस्था अगर अच्छा काम करती है तो उसकी रैंकिंग बढ़ सकती है।
जानिए किन कैटेगिरी में दी जाती है रैंकिंग
अभी तक NIRF रैंकिंग के द्वारा जिन कैटेगरी को चुना गया है , उनमें यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फॉर्मेसी, कॉलेज, मेडिकल, लॉ, आर्किटेक्चर, रिसर्च और एआरआईआईए (नवाचार उपलब्धियों पर संस्थानों की अटल रैंकिंग) शामिल हैं।