GLA University: मथुरा. समयानुसार इंसान किसी न किसी रूप में नल अनुसंधान की ओर अग्रसर है। इनमें से अधिकतर वर्तमान में इंटरनेट प्रयोग करने वाले शिक्षकऔर विद्यार्थी सहित प्रोफेशनल दिग्गज हैं। जिनके जहन में अवधारणाएं, आइडिया या विचार आते रहते हैं, जो कि उनकी दिलचस्पी के होते हैं और जो उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। ठीक इसी के इतर GLA विश्वविद्यालय, मथुरा के छात्र और शिक्षकों ने नल अनुसंधान पर जोर देते हुए हजारों पब्लिकेशन, सैकड़ों से अधिक पेटेंट पब्लिश और अच्छी संख्या में पेटेंट ग्रांट कराये हैं।
पिछले कई वर्षों में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने नए आयाम गढ़े
अनुसंधान के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों में जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने नए आयाम गढ़े हैं। 14 से अधिक रिसर्च सेंटर जिनमें सोलर एनर्जी, माइक्रो नेनो डेवलपमेंट, सस्टेनेबल इनवायरनमेंट एंड लग्रीकल्चर, एडवांस्ड कंस्ट्रकशन इंजीनियरिंग, सेंटर फॉर कम्प्यूटर विजन एंड इंटेलीजेंट सिस्टम, लैबव्यू लकेडमी, टेक्सास इंस्टूमेंट इनोवेशन, सेंटर फॉर काउ साइंस, आईपीआर रिसर्च सेंटर के माध्यम से 4400 से अधिक पब्लिकेशन, 400 से अधिक पेटेंट पब्लिश एंड 35 से अधिक पेटेंट ग्रांट कराने में विश्वविद्यालय अग्रणी रहा है। कोरोना के दौर की बात की जाय तो रिसर्च के ग्राफ में अधिक बढ़ोत्तरी देखी गयी। जिनमें से स्कोपस में वर्ष 2020 में 693 एवं 2021 में 887 और 2022 में 1416 पब्लिकेशन हुए। वेब ऑफ साइंस/एससीआई इंडेक्स में वर्ष 2020 में 223 एवं 2021 में 295 और 2022 में 725 पब्लिकेशन हुए। एच इंडेक्स वर्ष 2020-21 में 44 तथा 2021-22 में 51 रहा।
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भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय को पेटेंट फाइलिंग कर 400 से अधिक पेटेंट पब्लिश कराने में सफलता हासिल
रिसर्च पब्लिकेशन से अलग हटकर शिक्षक और छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों और कॉरपोरेट जगत के हित में अपने आइडिया सुझाते हुए भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय को पेटेंट फाइलिंग कर 400 से अधिक पेटेंट पब्लिश कराने में सफलता हासिल की। इसके अलावा इन्हीं में से प्रोटोटाइप तैयार कर पेटेंट ग्रांट कराकर सफलता की सीढ़ी चढ़े। अगर इस सफलता की बात की जाय तो यह सफलता कोरोना की पहली और दूसरी लहर वर्ष 2020-21 में शिक्षक और छात्रों के अच्छी संख्या में हाथ लगी। वर्ष 2020 में 93 पेटेंट पब्लिश और 4 ग्रांट हुए। वर्ष 2021 में 120 से अधिक पब्लिश और 16 से अधिक ग्रांट हुल। वर्ष 2022 में भी शिक्षकों और विद्यार्थियों अपने हुनर का प्रदर्शन कर 128 से अधिक पेटेंट पब्लिश कराने में सफलता हासिल की। इन्हीं में से 10 पेटेंट ग्रांट कराकर अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया आयाम गढ़ा। यानि कोरोना की भीषण लहर के बाद से ही विश्वविद्यालय ने शिक्षकों और छात्रों को भूरपूर सहयोग और सुविधाएं प्रदान कीं।
रिसर्च करना महत्वपूर्ण ही नहीं- बल्कि आवश्यक
रिसर्च प्रोफेसर डॉ. कमल शर्मा ने कहा कि जो भी छात्र और शिक्षक सीखने को महत्व देते हैं, उनके लिए रिसर्च करना महत्वपूर्ण ही नहीं- बल्कि आवश्यक भी है। स्टूडेंट्स और शिक्षाविदों सहित सभी प्रोफेशनल्स और गैर-प्रोफेशनल्स को रिसर्च करना चाहिए। रिसर्च से अनजानी बातों का पता चलता है, और आपको इस दुनिया को देखने के अलग-अलग दृष्टिकोण मिलते हैं। जब आप सीखने के प्रति गंभीर होते हैं, तो आप निरंतर आगे बढ़ते हैं। रिसर्च करने के लिए प्रेरणा अधिकतर, ज्यादा सीखने की इच्छा से मिलती है।
विद्यार्थियों को कॉरपोरेट दिग्गजों से मुलाकात
डीन रिसर्च प्रो. कुषाग्र कुलश्रेष्ठ बताया कि अगर किसी शिक्षक या छात्र के पास कोई व्यावसायिक आईडिया है, तो उस आईडिया को विश्वविद्यालय में स्थापित भारत सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा चलायी जा रही स्कीम न्यूजेन आइईडीसी के माध्यम से उसके नवाचार एवं आविष्कार हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा छात्रों के स्टार्टअप की शुरूआत और कंपनी रजिस्टर्ड कराने के विश्वविद्यालय में टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेटर सेंटर स्थापित है, जो कि विद्यार्थियों को कॉरपोरेट दिग्गजों से मुलाकात कराने और उनके आविष्कार को मार्केट एवं कॉरपोरेट जगत पहुंचाने के लिए पूरी सहायता प्रदान करता है। इसी के तहत अब तक 50 से अधिक स्टार्टटप और 30 से अधिक विद्यार्थियों की कंपनी रजिस्टर्ड हो चुकी हैं। इस सफलता के लिए इंक्यूबेशन सेंटर के निदेशक डॉ. मनोज कुमार, न्यूजेन आइईडीसी के जितेन्द्र कुमार, सेंटर फॉर स्किल लंटरप्रेन्यॉरशिप डेवलपमेंट से अभिषेक प्रताप गौतम एवं समस्त विभागाध्यक्ष, शिक्षक और छात्रों का आभार प्रकट किया।
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