वैसे तो पुतलों को होना कोई नई बात नहीं है। हमारे आस-पास भी सड़कों पर बहुत से पुतले मिल ही जाते हैं। यह पुतले लेकिन या तो किसी नेता के होते हैं या फिर किसी महान आदमी के होते हैं। इसके अलावा कुछ पुतले विज्ञापन के लिए भी लगे होते हैं। इस से और ज्यादा गांवों की तरफ जाओगे तो लोग ऐसे ही कोई पुतला बनाकर अपने खेतों में पक्षियों से फसल बचाने के लिए खड़ा कर देते हैं। एक गांव लेकिन ऐसा है जहां ना किसी नेता का, ना किसी महान आदमी का और ना ही किसी खेत को बचाने के लिए पुतला लगाया जाता है। उसके बाद भी गांव में इंसानों से ज्यादा पुतले मिलते हैं। आईये इस गांव के बारे में जानते हैं।
गांव में लोग 29 पुतले 300
इस गांव में लोगों की संख्या कुल 29 है। इस गांव में लोगों की संख्या से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव आबादी के हिसाब से कितना छोटा है। इस से ज्यादा लोग तो हमारे यहां एक ही परिवार में मिल जाते हैं। इन लोगों का गांव में दिल नहीं लगता है। गांव खाली-खाली रहता है। गांव में कोई दुख दर्द की सुनने वाला भी नहीं है। गांव के लोग अपना अकेलापन दूर करने के लिए गांव में पुतलों को अपने आस-पास घरों के बाहर चौराहों पर या अपने खेतों में रखते हैं ताकि उन्हें अकेलापन ना लगे किसी के होने के आभास रहे। इनके होने से लोगों को दूर से बीड़ नज़र आये।
जापान का गांव है
यह गांव वैसे तो जापान में है। यह गांव जापान के एक टापू शिकोकू पर बस बसा है। गांव का नाम नागोरा है। इस गांव को लेकिन अब scarecrows यानि पुतलों के गांव के नाम से जाना जाता है। इस गांव के बारे में लोगों का कहना है कि गांव के ज्यादतर लोग गांव से पलायन कर गये। वह रोजगार की तलाश में गांव से दूर शहरों में जा बसे हैं। यह गांव क्योंकि एक टापू पर है इसलिए बहुत ज्यादा लोग यहां आते जाते भी नहीं है। गांव को लोगों को इसलिए सब कुछ सूना-सूना सा लगता है। गांव में किसी के होने का एहसास रहे। उनके आस पास ऐसा लगे जैसे लोग मौजूद हैं तो गांव के लोग पुतले बनाकर अपने घरों के बाहर या घरों के अंदर भी रख लेते हैं। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि गांव के लोग तन्हाई में इनसे से एकतरफा बातें भी कर लेते हैं। ऐसा करके उनका मन हल्का हो जाता है।
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