History of West Bengal: अंग्रेजों ने सबसे पहले बंगाल से अपनी विजय का पताका फहराया था। अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा करने के बाद बंगाल को ही अपनी राजधानी भी बनाया था। साल 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल को दो भागों में बांट दिया था। अंग्रेजों ने जब 1911 में राजधानी दिल्ली को बनाया तो फिर से बंटे हुए बंगाल को एक कर दिया था। बंगाल के बारे में कुछ बातें जो बंगाल का इतिहास बताती हैं।
बंगाल का इतिहास
यह बात 1947 की है। भारत जब आजाद हुआ तो बंटवारे के साथ हुआ। भारत के साथ ही बंगाल भी दो भागों में विभाजित हो गया। पहला पूर्वी बंगाल जो मुस्लिम प्रधान पूर्व बंगाल था। यही इलाका बाद में जाकर बंगलादेश बना। दूसरा इलाका था पश्चिमी बंगाल यानी पंश्चिमी बंगाल और बंगलादेश पहले एक ही देश थे। भारत जब आजाद हुआ था तो पाकिस्तान अलग बना। पाकिस्तान में दो हिस्से थे। पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। इंदिरा गांधी के समय 1971में जब पाकिस्तान का बंटावारा हुआ तो पूर्वि पाकिस्तान स्वतंत्र हो कर बंग्लादेश बना। आजादी से पहले बंगाल एक ही था आजादी के बाद पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल में बंट गया।
प्लासी की लड़ाई में जीता बंगाल
अंग्रेजों ने भारत को प्लासी की लड़ाई में नवाब सिराजुदौला से जीता था। इस लड़ाई के बाद अंग्रेजों के हिस्से में भारत का पहला राज्य बंगाल आया। इसी राज्य से उन्होंने रणनीति बनाकर पूरे भारत को धीर-धीरे अपने कब्जे में ले लिया। उस भी पहले बंगाल पर गुप्त वे मौर्य शासकों का भी प्रभाव पड़ा। बंगाल आज भी कला और अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है। बंगाल में ही राजाराम मोहन रॉय जैसे समाज सुधारक पैदा हुए जिन्होंने आगे चलकर भारत में सती प्रथा पर रोक लगायी। बंगाल से ही पहली क्रांति का बिगुल बजा था। बंगाल से ही पहला अखबार बंगल गजट भारत में निकला था।
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